
कोरोना वायरस से बचने के लिए दुनिया भर में अलग अलग उपाय हो रहे हैं. लेकिन अब तक कुछ सॉलिड रास्ता नहीं मिला है.
इजरायल ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए वहां के लोगों पर ही जासूसी करने की तैयारी में है. काउंटर टेररिज्म के लिए बनाई गई टेक्नॉलजी के जरिए कोरोना वायरस के पेशेंट को ट्रैक किया जाएगा
ये पहला मौका है जब इस तरह की टेक्नॉलजी वहां आम लोगों पर यूज होगी. यूजर्स के सेल फोन का डेटा कलेक्ट करके उनका मूवमेंट भी ट्रैक किया जाएगा.
गौरतलब है कि इस तरह की टेक्नॉलजी को अब तक सिर्फ काउंटर टेररिज्म के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जाहिर है इसे लेकर प्राइवेसी से जुड़े सवाल भी खड़े होंगे और एक्सपर्ट्स इस बात की चिंता भी जता रहे हैं.
ये ट्रैकिंग टूल इजरायल में इमरजेंसी रेग्यूलेशन के जरिए लगाया गया है और दिलचस्प ये है कि इशके लिए इजरायल की पार्लियामेंट से इजाजत भी नहीं ली गई.
कोरोना को लेकर लोगों के फोन ट्रैक करने वाले इस कदम को लेकर इजरायल में पीएम नेतन्याहू के खिलाफ लोग प्रोटेस्ट भी कर रहे हैं.
सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये ट्रैकिंग टूल पहली बार इजरायल में वहां के नागरीकों के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा.
दरअसल ये एक तरह से स्पाई टूल है जिससे कोरोना वायरस के पेशेंट और सस्पेक्ट को ढूंढने के लिए उनका फोन तक ट्रैक किया जा सकता है.
इस टूल के जरिए ये पता लगाया जा सकेगा कि कोई शख्स किसी कोरोना पेशेंट के संपर्क में आया है या नहीं.
इजरायल की सिक्योरिटी एजेंसी ISA जिसे वहां शिन बेट के नाम से भी जाना जाता है. ये एजेंसी वहां के किसी शख्स को उनके नेशनल आईडी और सेल फोन नंबर के जरिए ट्रैक करने में सक्षम है.
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है, 'चूंकि ये वायरस बड़े पैमाने पर फैल रहा है और इस टूल में एक घंटे का भी विलंब होने से कई इजराइली की मौत हो सकती है, ठीक वैसे ही जैसे इटली में हजारों लोगों की मौत हो गई और दुनिया के दूसरे मुल्कों में भी ऐसा हो रहा है'
इजलायल के पीएम का कहना है कि कोरोना वायरस के पेशेंट और सस्पेक्ट को ट्रैक करने करने के लिए इस टूल को यूज करने की इजाजत अटॉर्नी जनरल से ले ली गई है.
उन्होंने ये भी कहा है कि इस मेजर से यह वायरस पर लगाम लगाया जा सकता है और इससे कई इजरायली की जान बचाई जा सकती है.
इस ट्रैकिंग सिस्टम के लिए वहां की ISA एजेंसी कई तरह के टूल का यूज करेगी. इसके तहत वहां के लोगों का सेलफोन डेटा कलेक्ट करके उनकी मूवमेंट पर नजर रखी जाएगी.
रिपोर्ट के मुताबिक इजरायल की एजेंसी ISA को यूजर्स के मोबाइल कॉन्वर्सेशन या मैसेज को स्टोर करने की इजाजत नहीं होगी. बताया जा रहा है एजेंसी सीधे तौर पर पेशेंट की डीटेल्स का यूज नहीं करेगी, बल्कि वो इसे वहां की हेल्थ मिनिस्ट्री को ट्रांसफर करेगी.
हैरानी की बात ये है कि इजरायल की पुलिस को ये अख्तियार होगा कि वो बिना कोर्ट के अप्रूवल के ही वहां के सिविलियन का ट्रैकिंग डेटा हासिल कर सकते हैं और इसे पेशेंट को क्वारंटीन करने और सेल्फी इसोलेशन के लिए यूज किया जाएगा.
दरअसल ये टेक्नॉलजी काउंटर टेररिज्म के लिए यूज की जाती है और पहली बार किसी देश में इसे ऑफिशियली वहां के अपने नागरीकों पर ही यूज किया जा रहा है. आने वाले समय में ये प्राइवेसी को लेकर एक बड़ा मुद्दा बन सकता है.