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ऑनलाइन शॉपिंग में भी बिना सामान खरीदे ऐसे कर सकेंगे ट्राइ

इस स्टार्टअप में सिर्फ 20 कर्मचारी हैं और एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसे इसलिए खरीदा गया है कि इसके तमाम कर्माचारी ऑग्मेंटेड रियलिटी टेक्नोलॉजी में माहिर हैं और स्नैपचैट ऑग्मेंटेड रियलिटी पर तेजी से काम कर रह है.

स्नैपचैट ने खरीदा ऑग्मेंटेड रियलिटी स्टार्टअप स्नैपचैट ने खरीदा ऑग्मेंटेड रियलिटी स्टार्टअप
Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 28 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 5:52 PM IST

इमेज मैसेजिंग ऐप स्नैपचैट इजराइल के एक स्टार्टअप को खरीद रही है. यह सीमैजीन नाम का स्टार्टअप ऑग्मेंटेड रियलिटी बेस्ड है और रिपोर्ट के मुताबिक स्नैपचैट 30-40 मिलियन डॉलर में खरीद रही है. यह खबर सिर्फ खरीद फरोख्त की नहीं है, बल्कि यह ई-कॉमर्स शॉपिंग का अनुभव बदल सकती है. क्योंकि ऑग्मेंटेड रियलिटी टेक्नॉलोजी के जरिए यूजर्स ऑनलाइन फर्नीचर खरीदने से पहले उसे घर बैठे उसे बिना खरीदे अपने कमरे में रख कर देख सकते हैं.

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इस स्टार्टअप में सिर्फ 20 कर्मचारी हैं और एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसे इसलिए खरीदा गया है कि इसके तमाम कर्माचारी ऑग्मेंटेड रियलिटी टेक्नोलॉजी में माहिर हैं और स्नैपचैट ऑग्मेंटेड रियलिटी पर तेजी से काम कर रह है.

ऑग्मेंटेड रियलिटी के बारे में नहीं पता तो इसका सबसे आसान उदाहरण पोकेमॉन गो गेम है. इस टेक्नोलॉजी के तहत असली दुनिया में वर्चुअल चीजें रख कर फोटो क्लिक कर सकते हैं. बिल्कुल वैसे ही जैसे रास्ते में आपको पोकेमॉन्स मिल जाते हैं.

यह Cimagine स्टार्टअप टेक्नोलॉजी के जरिए किसी सर्फेस को स्कैन करके उसपर 3D रियल टाइम इमेज बनाया जा सकता है. हाल ही में लेंसकार्ट ने अपने ऐप पर एक नए फीचर की शुरुआत की है जिससे आपके फेस की 3D मैपिंग होती है फिर आप घर बैठे वर्चुअल तरीके से चश्मा ट्राइ करके पसंद कर सकते हैं.

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उदाहरण के तौर आपको किसी वेबसाइट से फर्नीचर खरीदना है. जाहिर है आप 100 फर्नीचर को घर मंगा कर देख तो नहीं सकते, लेकिन इस ऐप के जरिए 100 फर्नीचर को वहां रखकर वर्चुअली देख सकते हैं जहां आपको ठीक लगे.

ऑग्मेंटेड रियलिटी और ऑनलाइन शॉपिंग का भविष्य
लोगों में कोई भी सामाने लेने से पहले उसे इस्तेमाल करके देखने की प्रवृत्ती होती है. लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग में ज्यादातर पर ऐसा करना व्यव्हारिक नहीं होता. उदाहरण के तौर पर अगर आप घर में डेकोरेशन के लिए कोई सामान लेते हैं तो आप एक बार या दो बार ट्राइ कर सकते हैं. ऐसे में ऑग्मेंटेड रियलिटी के जरिए आप सामान को बिना मंगाए अपने मोबाइल फोन पर देख सकते हैं और आपको ऐसा लगेगा जैसे वो सच में आपके घर में है.

धीरे धीरे जब बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां इसे अपनना शुरू करेंगी तो इससे दोनों तरफ फायदा होगा. बार बार सामान भेजना और वापस मंगाना नहीं होगा और कस्टमर्स के लिए समय और पैसे की बचत होगी.

चार साल पहले जब सीमैजिन नाम के इस स्टार्टअप की शुरुआत हुई थी और इसके बाद से इसने कई रीटेल पार्टनर्स बनाए हैं जो इस टेकनोलॉजी की मदद से यूजर्स को घर बैठे सामान ट्राइ करने की सुविधा दे रहे हैं. हालांकि भारत में यह ट्रेंड नया है, लेकिन कई कंपनियों ने ऐसी शुरुआत की है. अब इस कंपनी को स्नैपचेट खरीदकर ज्यादा से ज्यादा रीटेलर्स से पार्टनर्शिप करके लोगों को वर्चुअल तरीके से सामना ट्राइ करने की सुविधा देगी.

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