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मिस्र की शीर्ष प्रशासनिक अदालत ने शनिवार को यूट्यूब पर एक महीने का प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए हैं. यूट्यूब पर प्रतिबंध लगाने का मुकदमा दायर करने वाले वकील ने कहा कि अदालत ने यह फैसला पैगंबर मोहम्मद की ईशनिंदा करने वाले वीडियो को यूट्यूब पर प्रचारित करने की वजह से लिया है.
सिन्हुआ के मुताबिक, वकील मोहम्मद हमाद सलेम ने कहा, 'यह फैसला अंतिम और लागू करने योग्य है और इसके खिलाफ अपील भी नहीं की जा सकती.'
एक निचली प्रशासनिक अदालत ने पहले राष्ट्रीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (NTRA) को ऐसा करने के आदेश दिए थे लेकिन बाद में एनटीआरए ने इस फैसले के खिलाफ अपील करते हुए कहा था कि इसे लागू करना मुश्किल है.
शीर्ष प्रशासनिक अदालत ने शनिवार को NTRA की अपील खारिज करते यूट्यूब पर अस्थाई प्रतिबंध जारी रखने को अंतिम फैसला बताया और कहा कि इसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, वीडियो का नाम 'इनोसेंस ऑफ मुस्लिम' था. ये एक 13 मिनट की लोवर बजट वाली वीडियो थी. इसे कैलिफोर्निया में प्राइवेट फंडिंग से तैयार किया गया था. 2012 में इस वीडियो को दिखाए जाने के बाद इसने मिस्र और अन्य मुस्लिम देशों में अमेरिकी विरोधी लहर को उकसाया था. इसके तुरंत बाद मामला दायर किया गया था.
(इनपुट-आईएएनएस)