
माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर सोमवार 19 नवंबर को विवादों में घिर गई थी. वजह थी कंपनी के सीईओ जैक डॉर्सी का एक तस्वीर में राजनीतिक पोस्टर हाथ में लिए हुए नजर आना. दरअसल जिस पोस्टर को थामे हुए जैक नजर आ रहे थे उसमें लिखा था- 'ब्राह्मण पितृसत्ता का नाश हो'. साथ ही जो तस्वीर है वो जैक के भारत दौरे के समय की है.
जिस ग्रुप फोटो में जैक मौजूद हैं उसमें उनके साथ अलग-अलग महिलाओं का एक समूह है. इस समूह में पत्रकार, लेखक और एक्टिविस्ट शामिल हैं. ट्विटर पर इस तस्वीर के सामने आते ही जैक को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा. आलोचना खासकर दक्षिणपंथियों द्वारा की गई. जैक पर एक जातीय समूह पर हमलावर होने का आरोप लगाया गया. साथ ही ये प्रश्न भी पूछा गया कि क्या केवल लेफ्ट-विंग वालों को ही मिलने के लिए बुलाया गया था.
विवाद के बीच, ट्विटर इंडिया को एक अनधिकृत बयान जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसमें ट्विटर की ओर से स्पष्ट किया गया कि जैक को ये पोस्टर एक मेंबर द्वारा ऑफर किया गया था. जो ये सुनिश्चित करता है कि ट्विटर सभी आवाजों को सुनने में भरोसा रखता है.
इस विवाद को हवा तब और लगी जब एक पत्रकार ने इवेंट इवेंट की एक ग्रुप फोटो को शेयर किया. इसमें जैक, ट्विटर की अमृता त्रिपाठी, लीगल हेड विजया गड्डे और बाकी दूसरे एक्टिविस्ट और लेखकों के साथ नजर आ रहे हैं.
फोटो को शेयर करते हुए पत्रकार अन्ना एमएम वेट्टीकाड ने लिखा कि भारत में ट्विटर के अनुभव पर चर्चा करने के लिए हममें से कुछ महिला पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और लेखकों ने एक राउंडटेबल में भाग लिया था.
इस विवाद के बाद दिनभर लगातार ट्विटर यूजर्स ने पोस्टर पकड़ने के लिए जैक को टारगेट किया. शाम होते तक ट्विटर इंडिया हैंडल ने अपना बचाव करते हुए स्टेटमेंट जारी किया और कहा कि, हाल ही में हमने एक डिस्कशन का आयोजन किया था. इसमें भारत के महिला पत्रकारों के समूह और चेंजमेकर्स मौजूद थे. ताकि ट्विटर को लेकर उनके अनुभवों को समझा जा सके. इनमें से एक महिला प्रतिभागी जोकि एक दलित एक्टिविस्ट थीं, उन्होंने अपना अनुभव साझा किए और जैक को एक पोस्टर गिफ्ट किया.