
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी पर गठित संसदीय समिति ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के अधिकारियों से कहा है कि वे चुनाव आयोग से ज्यादा तालमेल रखकर काम करें. समिति के अध्यक्ष और बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने यह जानकारी दी है. यही नहीं फेसबुक, व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम के वरिष्ठ अधिकारियों से भी कहा गया है कि वे इस संसदीय समिति के समक्ष 6 मार्च को पेश हों. ट्विटर को समिति के सभी अनुत्तरित सवालों के जवाब लिखित रूप में 10 दिन के भीतर देने को कहा गया है. समिति इस बारे में फिर से एक बार ट्विटर के अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुला सकती है.
पहले यह कहा जा रहा था कि ट्विटर के सीईओ इस संसदीय समिति के सामने पेश होंगे, लेकिन बाद में ट्विटर ने इसका खंडन किया. ट्विटर ने शुक्रवार को एक बयान में कहा था कि उसके पब्लिक पॉलिसी के वैश्विक उपाध्यक्ष कॉलिन क्रॉवेल 25 फरवरी को संसदीय समिति के सामने पेश होंगे. ट्विटर के सीईओ कहा था कि बहुत शॉर्ट नोटिस की वजह से वह इस सुनवाई में नहीं आ पा रहे.
31 सदस्यीय संसदीय समिति ने 'सोशल मीडिया/ऑनलाइन न्यूज मीडिया प्लेटफॉर्म पर नागरिकों के अधिकारों की रक्षा' पर ट्विटर के अधिकारी से चर्चा की. भारत सरकार की चिंता यह थी कि नागरिकों के डेटा की निजता को सुरक्षित रखा जाए और आगामी चुनाव में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से किसी तरह का दखल न होने पाए. समिति ने ट्विटर से यह सनिश्चित करने को कहा है कि भारतीय चुनाव किसी भी तरह से किसी विदेशी संस्था से प्रभावित या दमित न हों और कंपनी इन मसलों के समाधान के लिए भारतीय चुनाव आयोग के साथ मिलकर काम करे.
गौरतलब है कि संसदीय समिति ने सबसे पहले 1 फरवरी, 2019 को ट्विटर को नोटिस भेजा था. इसके बाद 11 फरवरी को फिर एक नोटिस भेजा गया और ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी को सुनवाई के लिए उपस्थित रहने को कहा गया. अब संसदीय समिति फेसबुक, व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम के प्रतिनिधियों को इस मसले पर बुलाकर बातचीत करेगी. सूत्रों के अनुसार, यह मीटिंग 6 मार्च को होगी.
ट्विटर के एक प्रवक्ता ने पिछले हफ्ते कहा था कि सोशल या ऑनलाइन समाचार मीडिया प्लेटफॉर्म पर नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के ट्विटर के विचारों को सुनने के लिए आमंत्रण देने पर हम संसदीय समिति का धन्यवाद करते हैं. सरकार ने ट्विटर पर आपत्तिजनक कंटेंट और राजनीतिक पूर्वाग्रह वाले कंटेंट को अपने प्लेटफॉर्म को हटाने में सुस्त होने का आरोप लगाया था.
ट्विटर यूजर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने और इस प्लेटफॉर्म पर राष्ट्रवादी पोस्टों के साथ कथित भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने के आरोपों पर बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता में सदन के पैनल ने इससे पहले ट्विटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जैक डोर्सी को समन भेजा था. डोर्सी की अनुपस्थिति में क्रॉवेल ने 31 सदस्यीय संसदीय समिति के समक्ष ट्विटर का प्रतिनिधित्व किया.
बता दें हाल ही में दक्षिणपंथी संगठन यूथ फॉर सोशल मीडिया डेमोक्रेसी के सदस्यों ने ट्विटर के ऑफिस के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था. उनका आरोप था कि ट्विटर ने 'दक्षिणपंथ विरोधी रुख' अख्तियार किया है और उनके अकाउंट्स को बंद कर दिया है. हालांकि ट्विटर ने इन आरोपों को खारिज किया. ट्विटर का कहना है कि कंपनी विचारधारा के आधार पर भेदभाव नहीं करती है.