Advertisement

चलें रोबोट्स की दुनिया में... सुपरस्पीड-मल्टीपल यूज, एक से बढ़कर एक खूबियां, इंसानों के लिए क्या-क्या काम कर रहे Robots?

दुनिया इस सवाल का जवाब जानना चाहती है कि क्या रोबोट्स आने वाले समय में दुनिया पर राज करेंगे? अपनी 100 साल की हिस्ट्री में रोबोट्स दुनिया में किस हद तक फैल चुके हैं. क्या-क्या काम करते हैं? क्या वे इंसानों के लिए मुसीबत बनेंगे या उनके लिए मददगार साबित होंगे?

आज रोबोट इंसानी दुनिया में अपनी पैठ बना चुके हैं आज रोबोट इंसानी दुनिया में अपनी पैठ बना चुके हैं
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 05 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:28 AM IST

आज जितनी तेजी से दुनिया में चीजें और इंसानों की जिंदगी बदल रही है और रोजमर्रा के काम में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है उससे अटकलें लगने लगी हैं कि क्या भविष्य में रोबोट दुनिया पर राज करेंगे? ऐसे में ये समझना जरूरी है कि आखिर इंसानों में रोबोट्स को लेकर इतनी जिज्ञासा क्यों है? आखिर किस हद तक इंसानों की जिंदगी में रोबोट्स का दखल बढ़ चुका है? क्या रोबोट्स इंसान के दोस्त साबित हो रहे हैं या वे तमाम क्षेत्रों में इंसानों को रिप्लेस करते जा रहे हैं? इन सवालों के जवाब जानने के लिए आपको रोबोट्स की तेजी से विकसित हो रही दुनिया को समझना होगा...

Advertisement

रोबोट्स की 100 साल की हिस्ट्री

पहली बार साल 1921 में चेक बौद्धिक हस्ती कैरेल कैपेक ने अपने प्ले में रोबोट्स शब्द को अंग्रेजी भाषा से इंट्रोड्यूस कराया. साल 1939 में 7 फुट लंबे पहले ह्यूमनायड रोबोट Elektro को न्यूयॉर्क वर्ल्ड फेयर में पहली बार पेश किया गया. यह रिकॉर्डेड प्लेयर के जरिए ट्रैक चलाकर बोलने में सक्षम था. साल 1954 में जॉर्ज डोवेल ने पहला मॉडर्न रोबोट विकसित किया. 1961 में पहला इंडस्ट्रियल रोबोट Unimate 1900 आया. जिसे जनरल मोटर की फैक्ट्री में लगाया गया. यह फैक्ट्री में डाई कास्टिंग मशीनों से हॉट मेटल उठाकर देने जैसे खतरनाक काम में इस्तेमाल होता था. यह एक साथ कई तरह के काम निपटाने में सक्षम था.

इसके बाद 1970 और 1980 के दशक में हॉलीवुड फिल्मों स्टार वॉर्स और टर्मिनेटर जैसी फिल्मों और 1999 में आई मैट्रिक्स में रोबोट्स के प्रमुख किरदारों ने इन्हें आम लोगों के बीच लोकप्रियता दिलाई. 1985 में रोबोटिक गेम Nintendo ने वीडियोगेम कंसोल के रूप में प्रसिद्धी पाई थी. इसके बाद स्पेस रोबोट्स और मिलिटरी रोबोट्स का दौर आया और अमेरिकी सेना में और नासा के अभियानों में बड़े पैमाने पर रोबोट्स का इस्तेमाल भी होने लगा.इसने जहां खतरनाक मिशनों पर बिना इंसान को भेजे रिमोट सिस्टम से कंट्रोल करने वाले रोबोट्स का विकल्प दिया वहीं कई जगहों पर काम की स्पीड में भी काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिली.

 

Advertisement

कितना बड़ा है रोबोटिक वर्ल्ड?

आज रोबोट्स न केवल इंडस्ट्रियल बल्कि और भी कई प्रकार के होते हैं जैसे- डोमेस्टिक हेल्प वाले, एजुकेशनल, स्पेस रोबोट आदि. वर्ल्ड रोबोटिक्स रिपोर्ट 2021 के आंकड़ों के मुताबिक आज दुनिया भर में इंडस्ट्रियल रोबोट्स की संख्या 30 लाख से भी अधिक है. हर साल इस संख्या में 10 फीसदी के लिहाज से बढ़ोत्तरी हो रही है. एक अनुमान के मुताबिक, साल 2026 तक ह्यूमनायड रोबोट्स का ग्लोबल मार्केट 5.6 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा.

सर्जिकल रोबोट्स आज हेल्थकेयर इंडस्ट्री में बड़ी तादाद में इस्तेमाल हो रहे हैं. इनका इस्तेमाल बॉडी असिस्टेंस, मरीजों के ट्रांसपोर्टेशन और सर्जिकल उपकरणों की तेजी से सप्लाई, टेली मेडिसिन जैसे कामों में किया जाता है. साल 2025 तक केवल सर्जिकल रोबोट्स की मार्केट वैल्यू 12.6 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है. अमेरिकी न्यूज एजेंसी सीएनएन बिजनेस के आंकड़ों के अनुसार, कोरोना काल के बीच साल 2021 के शुरुआती 9 महीनों में अमेरिका की फैक्ट्रीज से 29000 हजार रोबोट्स के ऑर्डर मिले. जाहिर है उद्योगों में ह्यूमैन पावर की जगह इनके इस्तेमाल पर कंपनियों की नजर है.

कहां बन रहे हैं ये रोबोट्स?

साल 2020 में दुनिया में जितने भी रोबोट्स बने उनमें से 71 फीसदी एशिया में बने. इनमें सबसे बड़ा हिस्सा चीन का है जहां 1 लाख 68 हजार रोबोट्स हैं, जबकि दूसरे नंबर पर 38 हजार रोबोट्स के साथ जापान, 30 हजार रोबोट्स के साथ अमेरिका तीसरे नंबर पर है. ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के डेटा के अनुसार पिछले 20 साल में रोबोट्स की संख्या तीन गुनी तक हो गई है और साल 2030 तक इसके 2 करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है. इनमें से केवल चीन में ही एक करोड़ 40 लाख रोबोट्स इंस्टॉल होने का अनुमान है. जाहिर है वहां इंडस्ट्री में इंसानों की जगह रोबोट्स के रिप्लेस होने को लेकर चिंताएं भी बढ़ेंगी.

Advertisement

किन जगहों और कामों में इस्तेमाल हो रहे ये रोबोट्स?

दरअसल आज ऑटोमेशन, एआई और मशीन लर्निंग के जरिए रोबोट्स कई ऐसे काम करने लगे हैं जिसे करने में या तो इंसान सक्षम नहीं हैं या फिर जोखिम के कारण इंसानों की बजाय रोबोट्स का इस्तेमाल इन सेक्टर्स में होने लगा है. दुनिया भर में आज रोबोटिक्स का क्षेत्र तेजी से विस्तारित हो रहा है. इंडस्ट्रीज में रोबोट्स का इस्तेमाल खासकर मैनुफैक्चरिंग, एसेम्लिंब, पैकिंग, ट्रांसपोर्ट, अर्थ और स्पेस एक्सप्लोरेशन, सर्जरी, लेबोरेटरी रिसर्च, उत्पादों के मास प्रोडक्शन, स्प्रे पेंटिंग, क्लीनिंग आदि कामों के लिए होता है. इसके अलावा चेकिंग, सैनिटाइजेशन आदि कई कामों में रोबोट्स का इस्तेमाल कोरोना काल में तेजी से बढ़ा है.

दुनिया के सबसे एडवांस और स्मार्ट ह्यूमनायड रोबोट्स

Ai-Da, Sophia, Erica, Asimo, Atlas जैसे कई रोबोट्स हैं जो हमें अल्ट्रामॉडर्न सुविधाओं से रुबरु कराते हैं.

आज दुनिया में कई मोस्ट एडवांस ह्यूमनायड रोबोट्स हैं जो इंसानों के जीवन में कई तरह की प्रमुख भूमिकाएं निभा रहे हैं. इसमें Ai-Da का नाम प्रमुख है जो दुनिया की पहली आर्टिस्ट रोबोट है. इसकी आंखों में कैमरा और आर्म्स-ड्रॉ के कंट्रोल के लिए एआई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में 2019 में अपने शो के जरिए इसने ये दिखाया कि कैसे अलग-अलग लोग आर्ट को अलग-अलग व्यू के साथ देख सकते हैं.

Advertisement

ह्यूमनायड रोबोट्स में आज की दुनिया में सबसे एडवांस और पॉपुलर है Sophia. इसे हॉन्कॉन्ग की कंपनी ने डिजाइन किया था जो कि रोबोट्स और एआई के फ्यूचर की सिंबल बन गई. यह दुनियाभर के लोगों की कल्पनाशीलता को कैप्चर करने में सक्षम रोबोट है. कई टीवी शो और इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में सोफिया रोबोट ने अपनी कटिंग एज टेक्नोलॉजी और अल्ट्रामॉर्डन एआई रिसर्च तकनीक की क्षमता साबित की. इसकी खूबियों को देखते हुए सऊदी अरब सरकार ने सोफिया रोबोट को साल 2017 में नागरिकता देने का ऐलान भी किया.

सोफिया रोबोट इंसानों की तरह 50 से भी अधिक फेशियल एक्सप्रेशन शो कर सकती है. सोफिया को एजुकेशन, रिसर्च और एंटरटेनमेंट के क्षेत्र में इस्तेमाल के मकसद से तैयार किया गया था. सोफिया रोबोट को डेविड हैनसन ने स्वर्गीय एक्ट्रेस ऑड्रे हेपबर्न और अपनी पत्नी अमांडा हैनसन का चेहरा दिया. सोफिया रोबोट की हाइट 167 सेंटीमीटर है, इसे साल 2016 में बनाया गया था. इसका वजन 20 किलो है. सोफिया रोबोट को अब तक बना सबसे एडवांस रोबोट माना जाता है.

 

इसी तरह जापानी रोबोट Erica नेचुरल लैंगुएज समझने में सक्षम है. यह इंसान की तरह आवाज और फेसियल एक्प्रेशन शोकेस करने में भी सक्षम है. इसी तरह होंडा के बनाए रोबोट Asimo की भी रोबोटिक्स की दुनिया में अपनी अलग ही धाक है. एडवांस सेंसिंग, रनिंग और जंपिंग की कैपिसिटी से युक्त Atlas रोबोट भी काफी पॉपुलर है. 

Advertisement

ऐसे ही जापानी रोबोट Pepper को दुनिया का पहला सोशल ह्यूमैन रोबोट माना जाता है. 28 किलो वजन, 120 सेंटीमीटर हाइट वाली इस रोबोट में चेहरों को पहचानने, खुशी-गुस्से जैसी इंसानी भावनाओं को समझने और भाषाओं की पहचान की क्षमता है. यह सामने वाले की भाषा और इमोशन को रिसीव कर उसका जवाब देता है. इंसानों से बात करते समय इसकी बातें इसके सीने पर लगे स्क्रीन पर दिखती रहती है.

अमेरिका में विकसित Digit रोबोट का इस्तेमाल कई कामों में किया जा सकता है. एक्सपर्ट्स का दावा है कि भविष्य में इस रोबोट का इस्तेमाल घरों में लोगों के केयर करने के लिए, सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशंस में, किसी जगह की तलाश में या और किसी खोजी अभियानों जैसे जटिल कामों में इसका इस्तेमाल हो सकेगा. यह 18 किलो तक का वजन भी उठा सकता है.

अमेरिका में बना Spot एक एनिमल रोबोट है. इसकी ऊंचाई 84 सेंटीमीटर, वजन 25 किलो और स्पीड 5.76 किलोमीटर प्रति घंटे की है. इसका शेप एकदम डॉग की तरह है. यह आपके ऑफिस, घर और प्लेग्राउंड के आसपास घूम सकता है और निगरानी रख सकता है बिल्कुल एक रियल डॉग की तरह. यह आपके आसपास के इलाके की मैपिंग कर सकता है, किसी अवैध एंट्री की लिस्टिंग कर सकता है या घुसपैठ को पकड़ सकता है, सामान को उठा सकता है. 20 से 45 डिग्री तक गर्म तापमान में भी यह काम कर सकता है. यह पीछे चलते हुए सीढ़ियां भी उतर सकता है.

Advertisement

beomni 1.0 रोबोटिक्स और एआई का फ्यूचर वर्जन है. यह मेडिकल सर्विस, मैनुफैक्चरिंग, एग्रीकल्चर जैसे कई कामों में इंसानों की मदद करने में सक्षम है. यह एक हाथ में 16 किलो तक वजन भी उठा सकता है. ATLAS सबसे डायनेमिक ह्यूमनायड रोबोट माना जाता है. यह सर्च-रेस्क्यू जैसे खतरनाक मिशनों में इंसानों के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है. इसको अमेरिकी डिफेंस रिसर्च फंडिंग की मदद से डेवलप किया गया है.

दुनिया का सबसे बड़ा रोबोट

दुनिया का सबसे बड़ा ह्यूमैनाइड रोबोट है Mononofu. 28 फुट ऊंचे, 14 फीट लंबे और 13 फीट चौड़े इस ह्यूमैनाइड व्हीकल का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज है सबसे बड़े रोबोट के रूप में. यह एक जापानी सामुराई वॉरियर का रोबोट वर्जन है. इसका वजन 7 टन से भी अधिक है. इसे बनाने में छह साल से भी अधिक समय लगा था. यह इतना बड़ा है कि इसमें पायलट को कॉकपिट तक पहुंचाने के लिए लिफ्ट भी बनाया गया है.

भारत के मशहूर रोबोट्स

भारत भी तेजी से रोबोटिक्स और एआई तकनीक के मार्केट के रूप में विकसित हो रहा है. इंडस्ट्री से लेकर अस्पतालों, मॉल्स, रेस्टोरेंट आदि में तेजी से रोबोट्स का इस्तेमाल बढ़ा है. बेंगलुरु में एयरपोर्ट पर डायरेक्शन बताने वाला रोबोट केम्पा हो या सेंसर के जरिए डांस, वॉक और ह्यूमैन कंट्रोल्ड कमांड समझ एक्शन ले पाने में सक्षम मानव रोबोट हो ये सब इस फील्ड में मेड इन इंडिया रोबोट टेक्नोलॉजी की धाक जमने के प्रतीक हैं. इसी तरह 100 फीसदी वेस्ट मटेरियल से बनी पहली फीमेल ह्यूमेनाइड रोबोट शालू, केरल का रोबोकॉप, एंड्रॉयड सपोर्टेड ह्यूमैनाइड रोबोट सैंडी, देश का पहला एंटी टेरर कॉमबैट रोबोट दक्ष ये सब इस फील्ड में भारत के तेजी से विकसित हो रहे मार्केट के उदाहरण हैं.

 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement