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सरकार ने लॉन्च किया साइबर फ्रॉड के लिए हेल्पलाइन, समाधान के लिए जानें पूरा प्रोसेस

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 जून 2021,
  • अपडेटेड 6:57 PM IST
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देश में साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. यहां साइबर क्राइम को रिपोर्ट किया जा सकेगा. साइबर फ्रॉड के वजह से जिन लोगों के पैसे का नुकसान हो रहा है उनके लिए ये हेल्पलाइन फायदेमंद साबित हो सकती है. किसी ने फ्रॉड करके आपके अकाउंट से पैसे उड़ा लिए हैं तो ये आपकी मदद करेगा. आइए विस्तार से बताते हैं कि ये हेल्पलाइन काम कैसे करेगा और आपको क्या करना होगा. 

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होम मिनिस्ट्री की तरफ जारी इस हेल्पलाइन नंबर 155260 पर कॉल करके शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. साइबर क्राइम फ्रॉड होने की स्थिति में यहां कॉल कर सकते हैं. आपको बता दें कि इसे 1 अप्रैल 2021 को ही सॉफ्ट लॉन्च किया गया था, लेकिन अब ये ऑपरेशनल है. 

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सरकार के मुताबितक 155260 हेल्पलाइन नंबर इंडियन क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर ने ऑपरेशनल किया है. इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सहित दूसरे बड़े बैंक्स, वॉलेट, ऑनलाइन मर्चेंट्स और पेमेंट बैंक की भी हिस्सेदारी सुनिश्चित कराई गई है. 

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दी सिटिजन फिनांशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम को साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर यानी 14C ने तैयार किया है. इसके तहत फिलहाल सात राज्य होंगे जिनमें दिल्ली, मध्य प्रदेशन, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं. यानी यहां रहने वाले लोग साइबर फ्रॉड होने पर शिकायत कर सकेंगे. 

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आने वाले समय में इसे पूरे देश के लिए तैयार कर दिया जाएगा. तब कहीं से भी इस नंबर पर कॉल करके साइबर फ्रॉड रिपोर्ट किए जा सकेंगे. सॉफ्ट लॉन्च दो महीने पहले हुआ था और बताया जा रहा है कि दो महीने के अंदर ही लोगों के 1.85 करोड़ रुपये फ्रॉड के हाथ में जाने से बच गए हैं. इनमें दिल्ली में 58 लाख रुपये और राजस्थान से 53 लाख रुपये बचे हैं. 

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सरकार के मुताबिक इससे बैंक और पुलिस एंपावर होंगे, क्योंकि इसमें न्यू ऐज टेक्नोलॉजी का यूज किया गया है जिससे लगभग रियल टाइम में ही ऑनलाइन फ्रॉड से जुड़ी जानकारियां शेयर की जाती हैं.

आपके साथ साइबर फ्रॉड हो जाए तो ऐसे में क्या किया जा सकता है? आप 155260 पर कॉल कर सकते हैं. यहां स्टेट पुलिस के लोग होते हैं. पुलिस आपकी डीटेल्स नोट करेगी और बेसिक पर्सनल डीटेल्स मांगी जाएगी. इसके बाद टिकट जेनेरेट होगा और इसे ऑपरेटर दी सिटिजन फिनांशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम में दर्ज कर देगा. 

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टिकट जेनेरेट होने के बाद जिस बैंक का मामला है वहां डीटेल्स जाएगी. या फिर किसी ऑनलाइन वॉलेट का मामला है तो उन्हें इसकी जानकारी दी जाएगी. शिकायत रजिस्टर करने के विक्टिम के पास एक्नॉलेजमेंट का मैसेज आएगा. इसके बाद जो भी फ्रॉड से जुड़े डॉक्यूमेंट्स होंगे उन्हें साइबर क्राइमर रिपोर्टिंग पोर्टल पर अपलोड करना होगा. साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybercrime.gov.in/ पर ऐक्सेस किया जा सकता है. कॉल करने के 24 घंटे के भीतर एक्नॉलेंजमेंट नंबर के साथ यहां डीटेल्स भरनी होंगी. 

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इस प्रोसेस के बाद जिस बैंक का मामला है यानी आपका पैसे जिस बैंक अकाउंट से फ्रॉड किया गया है वहां चेक किया जाएगा. बैंक इंटर्नल जांच करेगी और देखेगी की पैसा उसी बैंक में है या स्कैमर्स ने दूसरे बैंक में ट्रांसफर कर दिया है. अगर नहीं किया गया है तो बैंक उस पैसे को होल्ड पर डाल देगी और स्कैमर्स पैसे नहीं निकाल पाएंगे. अगर पैसा दूसरे बैंक में जा चुका है तो टिकट दूसरे बैंक में फॉरवर्ड किया जाएगा. 

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