देसी ट्विटर कहे जा रहे Koo ऐप के को-फाउंडर अप्रमेय राधाकृष्ण से इंडिया टुडे ने बात की है. इस पर कुछ सवालों के जवाब में राधाकृष्ण की ओर से कहा गया कि ट्विटर भारत को दुनिया से जोड़ता है और हम भारत में गहराई में जाने का विकल्प चुन रहे हैं. साथ ही को-फाउंडर ने ये भी कहा कि कोई ट्विटर को नहीं छोड़ रहा है. बल्कि ट्विटर पर मोजूद लोगों ने केवल Koo पर भी अकाउंट बना लिया है. दोनों का पर्पज अलग है.
इंडिया टुडे ने Koo ऐप के को-फाउंडर अप्रमेय राधाकृष्ण से बात किया है. इस दौरान ऐप के बारे में बाता करते हुए उन्होंने कहा कि ज्यादातर ऐप इंग्लिश में मौजूद हैं. लेकिन ज्यादा संख्या में लोग इंग्लिश में बात नहीं करते. ऐसे में हम इस ऐप के जरिए लोगों को अपनी भाषा में अपनी कम्युनिटी के बीच बात रखने का मौका देना चाहते हैं.
इसी तरह एक सवाल के जवाब में राधाकृष्ण ने कहा 'मुझे लगता है कि ट्विटर भारत को दुनिया से जोड़ता है और हम भारत की गहराई में जाने का विकल्प चुन रहे हैं. साथ ही इसके लिए हम कोशिशें भी कर रहे हैं.'
जब राधाकृष्ण से पूछा गया कि टिकटॉक को भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी सफलता मिली थी. क्या आप भी ऐसी ही लोकप्रियता की उम्मीद अपने प्लेटफॉर्म से कर रहे हैं. तो उन्होंने कहा कि दोनों ही ऐप का मूड अलग है. हमारे ऐप का मूड थॉट्स और ओपिनियन्स हैं. वहीं, टिकटॉक इंटरटेनमेंट से ज्यादा संबंधित था.
इसी तरह ट्विटर बनाम कू से जुड़े सवाल के जवाब में को-फाउंडर ने कहा कि कोई ट्विटर को नहीं छोड़ रहा है. बल्कि ट्विटर पर मौजूद लोग कू पर भी अकाउंट बना रहे हैं. मुझे लगता है कि दोनों का पर्पज अलग है.
इसी तरह इंटरव्यू के दौरान राधाकृष्ण ने ये भी कहा कि हमें उम्मीद नहीं थी कि हमें यूजर्स से इतना प्यार मिलेगा. हमने स्टेप बाय स्टेप आगे बढ़ने के बारे में सोचा था, लेकिन हमें भारी भरकम प्रतिक्रिया मिल रही है. हम इस कैपेसिटी के हिसाब ऐप में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए काम भी कर रहे हैं.