स्मार्ट डिवाइसेस पर लोगों की निर्भरता धीरे-धीरे बढ़ रही है. रिसर्चर्स का मानना है कि ऐसे स्मार्ट डिवाइस जिन्हें हम अपने दिमाग से कंट्रोल कर सकेंगे इस दशक के अंत तक लगभग हर घर में मिलेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक हर 18 सकेंड पर एवरेज इंसान एक स्मार्ट डिवाइस के इंटरैक्ट करेगा. Connected Consumer 2030 स्टडी में Vodafone ने हेल्थ, ट्रांसपोर्ट और क्लाइमेट चेंज सेक्टर के एक्सपर्ट्स से टेक्नोलॉजी को लेकर उनके अनुमान पूछे थे.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि महामारी को ध्यान में रखते हुए औसत घरों में हेल्थ मॉनिटर करने के लिए डिवाइस मिलेंगे. इसमें स्मार्ट मिरर शामिल होंगे, जो हमारी स्किन में होने वाले असामान्य बदलावों को स्पॉट कर सकेंगे. इसके अलावा स्मार्ट स्पीकर घरों का हिस्सा बन सकते हैं, जो आपकी छींक या खांसी सुनने पर प्रिस्क्रिप्शन की सलाह दे सकते हैं.
रिपोर्ट की मानें तो इन डिवाइसेस की मदद से ग्लोबल हेल्थ केयर इंडस्ट्री सालाना 33 अरब यूरो की बचत कर सकेगी. हमारी रोजमर्रा के काम में वियरेबल्स मदद कर सकते हैं. ये वियरेबल दिमाग से मिलने वाले सिग्नल पर काम करेंगे. यूजर्स को इन्हें बोलकर कोई कमांड देने की जरूरत नहीं होगी.
ये ब्रेन कंप्यूटर बिना स्क्रीन या Metaverse वाले फ्यूचर इंटरफेस का रास्ता खोल सकते हैं. इसके अलावा रिपोर्ट में स्मार्ट नेचर का भी अनुमान लगाया गया है, जिसकी मदद से क्लाइमेट चेंज से मुकाबला करना आसान होगा. इस तरह की टेक्नोलॉजी अगले 10 सालों में हमें ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने में मदद करेगी.
रिपोर्ट की मानें तो साल 2030 तक कनेक्टेड डिवाइसेस की संख्या 125 अरब तक पहुंच जाएगी. अनुमान लगाया गया है कि साल 2030 तक टेक्नोलॉजी को रिस्पॉन्ड करने के लिए साउंड की जरूरत नहीं होगी, बल्कि वह दिमाग के सिग्नल पर काम करेगी.
इसकी मदद से यूजर्स इन डिवाइसेस से चुपचाप संपर्क कर सकेंगे. रिपोर्ट में बताया गया है कि पर्सनल डेटा भविष्य में करेंसी की तरह होगा. इसके साथ ही फ्यूचर में हाईब्रिड शॉपिंग करना भी संभव होगी.