एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स में आए दिन मैलवेयर अटैक होता है. इससे बचने के उपाए हमने कई बार बताए हैं. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक एक एंड्रॉयड मैलवेयर लोगों के स्मार्टफोन की स्क्रीन रिकॉर्ड कर रहा है.
ये दरअसल एक ट्रोजन है जो बैंकिंग, सोशल मीडिया और क्रिप्टोकरेंसी ऐप्स को टार्गेट करते यूजर्स की संवेदनशील जानकारियां चुरा रहा है. ये मैलवेयर यूजर के स्मार्टफोन स्क्रीन में हो रहे तमाम फंक्शन को रिकॉर्ड करता है.
इस मैलवेयर का नाम Vultur है और इनफॉर्मेशन सिक्योरिटी फर्म ThreatFabric ने ढूंढा है. फिलहाल ये ऑस्ट्रेलिया, इटली, स्पेन, ब्रिटेन, नीदरलैंड् में यूजर्स का टारगेट कर रहा है.
चूंकि मैलवेयर किसी बॉर्डर के मोहताज नहीं होते हैं, इसलिए ये भारत के यूजर्स को भी टारगेट करे तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी. ये मैलवेयर फेसबुक और वॉट्सऐप से लेकर क्रिप्टोकरेंसी ऐप्स को निशाना बना रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक ये मैलेवयर यूजर्स के एंड्रॉयड स्मार्टफोन में ड्रॉपर के जरिए इंस्टॉल होता है जो कई फिटनेस ऐप्स और फोन सिक्योरिटी ऑथेन्टिकेटर ऐप्स में पाया जाता है. इनमें से कुछ गूगल प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध हैं.
ये इसलिए भी खतरनाक है, क्योंकि ये यूजर्स के स्मार्टफोन की स्क्रीन रिकॉर्ड कर रहा है. स्क्रीन रिकॉर्ड करने का मतलब आप अपने फोन पर जो भी कर रहे हैं वो रिकॉर्ड हो रहा है.
रिकॉर्ड करके इसे रिमोटली हैकर तक भेजा जा रहा है जहां से यूजर्स प्रभावित हो सकते हैं. यानी साइबर अटैकर्स इसका गलत इस्तेमाल करके यूजर्स का बड़ा नुकसान कर सकते हैं. इससे बचने के लिए क्या कर सकते हैं?
ThreatFabric के मुताबिक यूजर्स Vultur मैलवेयर को डिटेक्ट कर सकते हैं. क्योंकि ये जब आपके फोन से डेटा सर्वर पर अपलोड कर रहा होता है तो फोन में कास्टिंग आइकॉन ऐक्टिव हो जाता है. ये आइकॉन फोन के टॉप में दिखाई देगा. इसे देख कर आप पता लगा सकते हैं कि आपके फोन से डेटा कहीं और भेजा जा रहा है.
इसके अलावा अगर फोन में पेड एंटी वायरस है तो भी इसे वो डिटेक्ट कर सकता है. अगर एंटी वायरस नहीं रखना चाहते हैं तो पहले वाले स्टेप को फॉलो करके इससे बचा जा सकता है.
फिलहाल भारत में इस मैलवेयर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. क्योंकि अभी तक ऐसे केस नहीं आए हैं जिनमें ये मैलवेयर यहां लोगों के स्मार्टफोन को निशाना बना रहा हो.