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Bitcoin इतना महंगा क्यों है? जानिए क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चल रहे सवालों के जवाब

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 मई 2021,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST
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क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कई लोगों के मन में सवाल उठते हैं. क्रिप्टोकरेंसी काफी दिनों से न्यूज में भी बना हुआ है. कई लोगों को मानना है आने वाले टाइम में सरकार भी इसे अप्रूव कर देगी. लेकिन सवाल उठता है क्रिप्टोकरेंसी इतनी महंगी कैसे है? इसकी तुलना हमलोग गोल्ड या पेपर वाले करेंसी से कर सकते हैं या नहीं? 

 

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मनी का कांसेप्ट काफी पुराना है. इस सिस्टम को barter सिस्टम के बाद लाया गया था. पहले सामान के बदले सामान एक्सचेंज किया जाता था. इसके बाद पैसों का कॉन्सेप्ट आया. इसमें महंगे मेटल्स को यूज किया जाने लगा. अब तो डिजिटल पेमेंट चल रहा है जिससे आप एक स्वाइप में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं.  
 

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इस सब में एक खास बात है जिससे एसेट्स की वैल्यू डिसाइड की जाती है. ऐसे में सवाल उठता है Bitcoin जैसी क्रिप्टोकरेंसी में क्या वैसा एलिमेंट है जिससे उसे मनी के प्राइमरी फॉर्म के तौर पर यूज किया जा सकें. यहां हमलोग जानने की कोशिश करते हैं क्रिप्टोकरेंसी और कागजी करेंसी जैसे डॉलर, पौंड्स या गोल्ड में क्या अंतर है. 

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गोल्ड जैसे मेटल काफी समय के बाद भी खत्म नहीं होते हैं. इसे काफी लंबे टाइम तक यूज किया जा सकता है. इसे आसानी से सिक्के के फॉर्म में ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है. इस वजह से मेटल का भी काफी लंबे टाइम तक सिक्के के तौर पर यूज किया गया. मेटल क्वाइन से भी बेहतर विकल्प के तौर पर पेपर करेंसी आया. इसे सरकार अपनी इकोनॉमी के हिसाब से रेगुलेट करती रहती है. 

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Bitcoin काफी लिमिटेड क्वांटिटी में है. पूरी दुनिया में सिर्फ 21 मिलियन Bitcoins ही है. इस वजह से इसकी वैल्यू काफी ज्यादा है. ट्रांजेक्शन के लिए भी इसे काफी सिक्योर माना गया है. इसे ऐसे सोचे अगर दुनिया से आज कागज वाली करेंसी को हटा दें तो आप गोल्ड या Bitcoin में किसका यूज ट्रांजेक्शन के लिए करेंगे? इसका सीधा सा जवाब कई लोग Bitcoin में देंगे. 
 

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एक बड़ा फैक्टर यहां ये भी है Bitcoin को 8 डेसीमल प्वाइंट्स में डिवाइड किया जा सकता है. यानी 1 Bitcoin को 0.00000001 पार्ट में डिवाइड किया जा सकता है. हर एक पार्ट Satoshi कहलाता है. इससे ट्रांजेक्शन काफी आसान हो जाएगा. किसी भी कागजी करेंसी को इतना ज्यादा पार्ट में डिवाइड नहीं किया जा सकता है. 
 

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अभी फिलहाल इसे सरकार से अप्रूवल लेने में दिक्कत आ रही है. सरकार इसे रेगुलेट करना कठिन मान रही है. इसका ये मतलब नहीं है इसे रेगुलेट नहीं किया जा सकता है. कुछ लीगल फ्रेमवर्क लिमिटेशन की वजह से ये दिक्कत आ रही है. इसे दूर करके इस करेंसी को अप्रूव किया जा सकता है. 

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