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क्रिप्टोकरेंसी: क्यों और कब बनी थी पहली करेंसी? क्यों होता रहता है इसमें काफी उतार-चढ़ाव?

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2021,
  • अपडेटेड 10:29 AM IST
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क्रिप्टोकरेंसी को लेकर आजकल काफी चर्चा हो रही है. पहले क्रिप्टोकरेंसी के तौर पर Bitcoin आया था. इसके बाद Ethereum, Cardano, Ripple और Dogecoin भी सामने आ चुके हैं. क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर काफी लोगों के मन में सवाल रहते हैं. यहां आपको क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े ज्यादातर सवालों के जवाब दे रहे हैं.

 

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क्रिप्टोकरेंसी क्या है?


आसान शब्दों में बोले तो क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मनी है जिसे देखा या टच नहीं किया जा सकता है लेकिन इसके साथ कुछ वैल्यू अटैच होती है. इसे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से सपोर्ट मिलता है. मतलब इसके लिए एक बैंक होने की बजाय कंप्यूटर्स का एक पूरा नेटवर्क होता जिससे ट्रांजेक्शन को ट्रैक किया जा सकता है.  
 

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क्रिप्टोकरेंसी अभी काफी नया है और इसका सही यूज अभी तक नहीं पता चला है. इसे गोल्ड या रियल एस्टेट से कंपेयर किया जा सकता है. ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ेंगे तो इसकी वैल्यू समय के साथ बढ़ेगी. 

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क्रिप्टोकरेंसी को कागजी करेंसी में एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के जरिए बदला जा सकता है. एक्सचेंज प्लेटफॉर्म्स के जरिए ही क्रिप्टोकरेंसी को खरीदा या बेचा जा सकता है. इसके ऐप को गूगल प्ले स्टोर या ऐप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. ऐप में KYC प्रोसेस से रजिस्ट्रेशन पूरा करना होगा. कुछ पॉपुलर इंडियन प्लेटफॉर्म्स WazirX, Zebpay, Coinswitch Kuber और CoinDCX GO हैं. 
 

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इसमें इन्वेस्ट करने से पहले आपको इसको लेकर अच्छे से रिसर्च कर लेनी चाहिए. Bitcoin को इस साल तक पहुंचने में लगभग दस साल का टाइम लगा. भारत में इसको अभी रेगुलेट नहीं किया जा रहा है. इसका मतलब कोई भी एक्सचेंज प्लेटफॉर्म या क्वाइन बना कर इसे बेचना शुरू कर सकता है. इस वजह से इसमें फ्रॉड का चांस भी है. भारत में फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी से ऑनलाइन खरीदारी नहीं कर सकते हैं. 
 

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क्रिप्टोकरेंसी शेयर बाजार की तरह ही काम करता है. इस वजह से इसका मार्केट ऊपर नीचे होता रहता है. ये काफी नया इस वजह से डेवलपमेंट्स पर ज्यादा रिएक्ट करता है. इस वजह से ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को हमें मिलता है. 
 

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क्रिप्टोकरेंसी को 2008 के फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद बनाया गया था. इसका मकसद था पावर लोगों के हाथ में देकर बैंक और सरकार पर से निर्भरता कम करना. इसके पीछे तर्क था सरकार काफी करेंसी प्रिंट करके इसकी वैल्यू कम कर सकती है लेकिन Bitcoins को 21 मिलियन ही बनाया गया. 
 

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एक क्रिप्टोकरेंसी को दूसरी से सीधे नहीं बदला जा सकता है. इसके लिए आपको पहले एक्सचेंज प्लेटफॉर्म से टोकन लेने होंगे उसके बाद आप टोकन का यूज करके दूसरी क्रिप्टोकरेंसी को खरीद सकते हैं. 
 

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