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शुरू हुई 96 हजार करोड़ के 5G Spectrum की नीलामी, Jio-Airtel और Vi लगाएंगे दांव

5G spectrum की नीलामी शुरू हो चुकी है. इस नीलामी से सरकार को काफी उम्मीदे हैं. साल 2022 में हुई नीलामी में सरकार ने 1.5 ट्रिलियन रुपये (1.5 खरब रुपये) की रिकोर्ड तोड़ कमाई की थी, इस बार भी सरकार को ऐसी ही उम्मीद है. इस नीलामी में देश की तीन बड़ी प्राइवेट सेक्टर की टेलीकॉम कंपनी Reliance Jio, Airtel और Vodafone idea शामिल हुई हैं. आइए जानते हैं कि Spectrum क्या होता है?

5G spectrum auction 5G spectrum auction
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 25 जून 2024,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST

भारत में 5G Spectrum की नीलामी शुरू हो चुकी है, जिसकी कीमत 96 हजार करोड़ रुपये है. इसकी शुरुआत मंगलवार से शुरू हुई. इससे पहले साल 2022 में नीलामी में स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई थी, जिसमें सरकार को रिकॉर्ड तोड़ 1.5 ट्रिलियन रुपये की कमाई हुई थी. 

देश में प्राइवेट सेक्टर की तीन बड़ी कंपनियां रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया इसमें हिस्सा ले रही हैं. सरकार को यूं तो कई बड़ी बोलियों को उम्मीद है.  सरकार ने इस नीलामी में कुल  8 स्पैक्ट्रम बैंड् नीलामी में रखे हैं. 

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तीनों कंपनियां लगाएंगी दांव 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक्सपर्ट ने एक अंदाजा लगाया है और बताया है कि तीन टेलीकॉम कंपनियां करीब 12500 करोड़ रुपये की कीमत के स्पेक्ट्रम को खरीद सकते हैं, जो 96,320 करोड़ रुपये की कीमत वाले एयरवेव का सिर्फ 13 पर्सेंट है.

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संचार भवन में स्थित डीओटी के वॉर रूम में ऑनलाइन नीलामी का आयोजन होगा. सरकार ने 13 और 14 मई को नीलामी का सफल अभ्यास का आयोजन किया था.   

संचार मंत्रालय ने कहा कि इस स्पेक्ट्रम नीलामी के दौरान अलग-अलग बैंड के 10,522.35 MHz को नीलाम किया जाएगा. साल 2022 में 51,236 MHz के स्पेक्ट्रम नीलाम हुए थे. वहीं 2021 में 855.6 MHz के स्पेक्ट्रम नीलाम हुए थे. 

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क्या होता है Spectrum? 

मोबाइल, वॉयस और डेटा कनेक्टिविटी के लिए स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करता है. स्पेक्ट्रम असल में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्रीक्वेंसी होती हैं, जिसका इस्तेमाल कम्युनिकेशन की अलग-अलग सर्विस में इस्तेमाल किया जाता है. कंपनियां अपने कस्टमर को बेहतर कनेक्टिविटी के लिए इसे खरीदती है और इस्तेमाल करती है. यह नेशनल रेगुलटेर यानी सरकार से खरीदा जाता है. 

वेव का इस्तेमाल रिमोट, टीवी और रेडियो आदि में भी इस्तेमाल किया जाता है. हर जगह बैंड्स का स्तर अलग-अलग होता है और इसका मुख्य काम कनेक्टिविटी तैयार करना है. 

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