
Cyber fraud के आए दिन नए-नए केस सामने आ रहे हैं. वैसे तो इनसे बचाव के लिए कई लोग ढेर सारे तरीके अपनाते हैं, लेकिन इन सभी के बावजूद साइबर ठग आपको चूना लगा सकते हैं. Shark Tank शो में साइबर ठगी से बचाने के लिए एक AI System पर से पर्दा उठाया, जिसका नाम AI Kavach है.
AI Kavach की फाउंडर प्रत्युषा वेमुरी वेनकाटा ने अपने इस सिस्टम की खूबियों को बताया. उन्होंने कहा कि AI Kavach एक ऐसा सिस्टम है, जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर काम करता है.
यह एक सिस्टम फ्रॉड वेबसाइट्स, फ्रॉड कॉल, फ्रॉड ऐप्स, फ्रॉड मैसेज और ऐसा कोई भी ऐप्स जो सेंसटिव डेटा को एक्सेस कर रहा है, उसको डिटेक्ट कर सकता है और उसकी रियल टाइम जानकारी दे सकता है. इसमें UPI Fraud Detection, Credit Card Fraud Detection को भी शामिल किया जा रहा है.
Shark Tank में प्रत्युषा ने बताया कि इस प्लेटफॉर्म को लॉन्च किए हुए दो महीने कंप्लीट हो चुके हैं. इसको अब तक 20 हजार डाउनलोड और 1,500 पेज सब्सक्राइबर मिल चुके हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि वे अब तक 200 से अधिक फेक और ठगी करने वाली वेबसाइट्स को पकड़ चुकी हैं.
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Microsoft और Cisco जैसी कंपनियों में साइबर सिक्योरिटी में करीब 18 साल तक काम कर चुकी प्रत्युषा खुद साइबर ठगी का शिकार हो चुकी हैं. दरअसल, Shark Tank में प्रत्युषा ने बताया कि जब वह 20 साल अमेरिका में रहने के बाद 2021 में इंडिया वापस आ गईं.
इसके बाद उन्होंने इंटरनेट पर से Swing Chair खरीदा. दो महीने तक डिलिवरी नहीं होने के बाद, उन्हें पता चला कि वह साइबर फ्रॉड का शिकार हो गईं. उन्होंने बताया कि वेबसाइट इतनी खूबसूरत थी कि उसे देखकर पता ही नहीं चला है कि वह फेक वेबसाइट है.
Shark Tank में प्रत्युषा ने बताया कि कॉल्स, मैसेज और वेबसाइट के जरिए सबसे ज्यादा साइबर ठगी होती है. इसकी हिस्सेदारी करीब 70 पर्सेंट की है. ट्रूकॉलर जैसे ऐप स्पैम कॉल्स की जानकारी देती हैं. उन्होंने सबसे खतरनाक वेबसाइट को बताया, जहां पर किसी भी लिंक से लैंड हो सकते हैं. यह Google, Facebook, Instagram, मैसेज या अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर आने वाले विज्ञापन की मदद से लैंड हो सकते हैं. इसके बाद आपका बैंक अकाउंट खाली हो सकता है.
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AI Kavach रियल टाइम काम करता है, इसके बाद सिस्टम देखता है कि वह वेबसाइट फ्रॉड कर सकती है या नहीं. अगर साइबर ठगी का स्कोर 80 पर्सेंट तक जाता है, तो उसके बाद सिस्टम रियल टाइम अलर्ट देता है. इसका एक डेमो उन्हों Shark Tank के दौरान भी दिया. उन्होंने इस सिस्टम को कई मिलियन वेबसाइट से साथ ट्रेन किया है. इसके बाद उन्होंने 40 से अधिक फ्रॉड डिटेक्शन फीचर्स को शामिल किया है. उन्होंने बताया कि उनके प्लेटफॉर्म में 96 पर्सेंट का एक्युरेसी है. आखिर में उन्हें टोटल 1 करोड़ रुपये का फंड मिला, जो 2.5 पर्सेंट इक्विटी+ 2.5 पर्सेंट एडवाइजरी इक्विटी पर है.