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Apple की वजह से हुई Facebook की फजीहत, इस फीचर के कारण कम हुआ रेवेन्यू? ऐसे करता है काम

Facebook Revenue Loss Due to Apple: फेसबुक, इंस्टाग्राम और WhatsApp की पैरेंट कंपनी Meta का रेवेन्यू पहली बार कम हुआ है. बुधवार को जारी हुए रिजल्ट के बाद कंपनी शेयर के भाव भी गिरे हैं. फेसबुक ने पहले ही रेवेन्यू कम होने का अंदाजा लगा लिया था. कंपनी ने इसके लिए ऐपल के एक फीचर को भी जिम्मेदार ठहराया था. आइए जानते हैं क्या है वह फीचर जिसकी वजह से घटा Meta का रेवेन्यू.

Apple की वजह से हुआ Facebook को घाटा? Apple की वजह से हुआ Facebook को घाटा?
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 9:04 PM IST
  • Facebook का रेवेन्यू पहली बार हुआ कम
  • क्या ऐपल का एक फीचर बना वजह?
  • पहले ही फेसबुक ने दिए थे रेवेन्यू कम होने के संकेत

फेसबुक की पैरेंट कंपनी Meta का रेवेन्यू पहली बार कम हुआ है. साल 2012 में पब्लिक होने के बाद से कंपनी का रेवेन्यू पहली बार ड्रॉप हुआ है. इसकी अपनी कई वजह हैं. डिजिटल ऐड्स सेल्स में बढ़ते कंपटीशन के साथ-साथ मंदी की आहट और फिर मेटा के अपने कुछ फैसले इसकी वजह बने हैं. ऐसी ही एक वजह ऐपल है. 

इस बारे में कंपनी ने CFO David Wehner ने जानकारी दी थी. इस साल की शुरुआत में ही डेविड ने बताया था कि साल 2022 में हमारे बिजनेस पर iOS का ओवरऑल नेगेटिव प्रभाव पड़ेगा. बुधवार को मेटा ने दूसरी तिमाही का रिजल्ट जारी किया है. 

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ऐपल की वजह से कम हुई Meta की आय?

इसमें कंपनी का रेवेन्यू 1 परसेंट कम हुआ है. अब सवाल आता है कि Apple का ऐसा कौन-सा फीचर है, जिसकी वजह से Meta को नुकसान हो रहा है. ऐपल ने iOS 14.5 के साथ App Tracking Transparency फीचर जोड़ा है. यह फीचर लेटेस्ट अपडेट में भी मिलता है, जिस पर ज्यादातर iPhone काम करते हैं. 

क्या है ऐपल का फीचर और कैसे करता है काम

ऐपल का यह फीचर यूजर्स को उनके डेटा का कंट्रोल प्रदान करता है. यानी यूजर्स इस फीचर की मदद से अपने डेटा को ज्यादा बेहतर तरीके से कंट्रोल कर सकेंगे.

यही वजह है कि फेसबुक के बिजनेस पर इसका अरस पड़ा है. जैसे ही आप इस फीचर को ऑन करते हैं, तो आपको दो ऑप्शन- 'क्या आप ऐप्स को ट्रैक करने देना चाहते हैं' और 'नहीं' मिलेंगे. 

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यूजर्स अपनी मर्जी से किसी भी ऑप्शन का चयन कर सकते हैं. यदि कोई यूजर 'नहीं' को सलेक्ट करता है, तो ऐप डेवलपर्स को IDFA एक्सेस नहीं मिलेगा. यह डिवाइस की ID होती है, जिसका इस्तेमाल ऑनलाइन ऐड्स दिखाने में किया जाता है.

इस फीचर का ऑनलाइन ऐडवरटाइजिंग कंपनियों ने विरोध भी किया था. यहां तक की फेसबुक (अब मेटा) ने इसके खिलाफ कैंपेन चलाया था. फेसबुक ने ऐपल पर आरोप लगाया था कि यह फीचर यूजर्स की प्राइवेसी के लिए नहीं बल्कि प्रॉफिट के लिए लाया गया है.  

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