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BSNL को 'लेने के देने पड़े', अपने ही टावर के लिए देने होंगे पैसे, प्राइवेट हाथों में होगा कंट्रोल!

BSNL उस कंपनी का नाम है, जिसने आम लोगों को तक मोबाइल फोन्स को पहुंचाया. साल 2000 में शुरू हुई इस कंपनी ने पहले गांव, फिर मोहल्ले और आखिर में घरों तक मोबाइल फोन्स को पहुंचाया है. इस वक्त कंपनी अपने वजूद को बचाने के लिए जूझ रही है. सरकार ने कंपनी को बचाने के लिए राहत पैकेज का भी ऐलान किया है. आइए जानते हैं सरकार के एक फैसले का विरोध क्यों कर रहे हैं BSNL के कर्मचारी.

BSNL कर्मचारी क्यों कर रहे सरकार का विरोध BSNL कर्मचारी क्यों कर रहे सरकार का विरोध
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 3:10 PM IST

BSNL यानी भारत संचार निगम लिमिटेड हमेशा किसी ना किसी वजह से चर्चा में बनी रहती है. कल ही हम कंपनी को पिछले एक दशक में हुए घाटों पर बात कर रहे थे. अब कंपनी एक पुराने मामले में नए अपडेट को लेकर चर्चा में आई है. अक्टूबर 2000 में शुरू होने वाली BSNL इन दिनों खुद को बचाने की जद्दोजहद में लगी हुई है.

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सरकार ने कंपनी को बचाने के लिए राहत पैकेज का भी ऐलान किया है. मगर एक सरकारी फैसले का विरोध कंपनी के कर्मचारी कर रहे हैं. BSNL कर्मचारी देशभर में केंद्र सरकार की पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं.

यह विरोध AUAB के तहत हो रहा है, जो BSNL के मुख्य यूनियन और संगठनों का अंब्रेला ऑर्गेनाइजेशन है. कंपनी के कर्मचारी काला बैज पहनकर सरकार की पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं. 

आखिर क्यों हो रहा है सरकार के फैसले का विरोध?

AUAB महाराष्ट्र के अध्यक्ष रंजन दानी का कहना है कि उनकी संस्था 14,917 BSNL टावर्स को प्राइवेट फर्म्स के हाथ में देने के सरकारी फैसले का जोरदार विरोध कर रही है.

उन्होंने बताया, 'आम बजट 2021-22 में सरकार ने कहा था कि वह 40 हजार करोड़ रुपये BSNL और MTNL के मोबाइल टावर और ऑप्टिक फाइबर प्राइवेट कंपनियों को देकर इकट्ठा करेंगे.'

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अपने ही टावर के लिए देने होंगे पैसे 

'इस क्रम में सरकार ने 14,917 टावर्स को प्राइवेट कंपनियों को सौंपने का फैसला किया है. भविष्य में BSNL को ही इन टावर्स और ऑप्टिक फाइबर को यूज करने के लिए प्राइवेट फर्म्स को पैसे देने होंगे.' 

रंजन दानी

अब इस बात को आसान शब्दों में समझे तो BSNL के 14,917 टावर्स प्राइवेट कंपनियों को देकर सरकार 40 हजार करोड़ रुपये इकट्ठा करना चाहती है. इससे बीएसएनएल की स्थिति को पहले से बेहतर करने की योजना है. मगर इन टावर्स को प्राइवेट कंपनियों को देने का मतलब है कि इनको इस्तेमाल करने के लिए BSNL को ही पैसे देने पड़ेंगे. 

राहत पैकेज पर चल रही नाव

हालांकि, सरकार कई तरह से BSNL को वापस पटरी पर लाने की कोशिश कर रही है. हाल में ही सरकार ने इसके लिए 1.64 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया है.

इससे अर्से से अटकी पड़ी BSNL 4G सर्विस शुरू हो सकेगी. साथ ही केंद्र सरकार बीएसएनएल के घाटे को भी कम करने की कोशिश कर रही है. लेटेस्ट अपडेट में सरकार ने BSNL और BBNL के मर्जर को भी मंजूरी दे दी है. 

एक दशक से घाटे में चल रही BSNL 

BSNL के घाटे पर नजर डाले तो कंपनी एक दशक से ज्यादा वक्त से नुकसान में चल रही है. साल 2009-10 में कंपनी को पहली बार घाटा हुआ था और यह सिलसिला अभी तक चला आ रहा है.

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वित्त वर्ष 2019-20 यानी पहली बार हुए घाटने के 10 साल बाद यह आंकड़ा 15,500 करोड़ रुपये पहुंच गया था. पिछले एक दशक में कंपनी को 90 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा हुआ है.

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