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सीसीआई (Competition Commission of India) के फैसले को चुनौती देने वाली वॉट्सऐप और फेसबुक की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस याचिका में कोई मेरिट नहीं है. 13 अप्रैल को कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसी साल जनवरी में सीसीआई (भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग) ने वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी की खबरें आने के बाद इस पर गौर किया और फिर जांच के आदेश दे दिए थे. सीसीआई के इसी जांच के आदेश को वॉट्सऐप और फेसबुक ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.
सीसीआई का मानना है कि वॉट्सऐप यूजर्स के डेटा को ज्यादा से ज्यादा इकट्ठा कर कर रहा है और अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर रहा है. वॉट्सऐप द्वारा नई प्राइवेसी पॉलिसी के तहत विज्ञापन के लिए अपने यूजर्स के डेटा को ज्यादा से ज्यादा इकट्ठा करना और उसका उपयोग करना पूरी तरह से गलत है. यह सीधे तौर अपने प्रभाव का दुरुपयोग है.
कोर्ट के आदेश से साफ हो गया है कि सीसीआई का विरोधी प्रतिस्पर्धा को लेकर जांच करने का फैसला गलत नहीं है. क्योंकि कोर्ट में सीसीआई का कहना था कि वॉट्सऐप द्वारा यह एक तरह से बाजार में अपने दबदबे की स्थिति का दुरुपयोग करना है. इसी कारण से सीसीआई ने वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी की जांच के आदेश दिए हैं. वहीं दूसरी तरफ इस मामले में वॉट्सऐप और फेसबुक ने कोर्ट से कहा की वॉट्सऐप की प्राइवेसी से जुड़ी नीति का मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. ऐसे में सीसीआई इसमें हस्तक्षेप कैसे कर सकता है.
याचिकाकर्ता के तौर पर फेसबुक और वॉट्सऐप का इस मामले में कहना था कि सीसीआई को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. लेकिन सीसीआई ने कोर्ट को कहा कि वह इस मामले में कंपनी के प्रतिस्पर्धा के अलग-अलग पहलुओं पर गौर कर रहा है. प्रतिस्पर्धा से जुड़े मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई नहीं कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट जिस मामले पर सुनवाई कर रहा है वह निजता के अधिकार से जुड़ा हुआ है ऐसे में अधिकार क्षेत्र को लेकर विवाद का सवाल ही पैदा नहीं होता.
अमन लेखी ने कोर्ट को कहा कि इसी वजह से वॉट्सऐप और फेसबुक की तरफ से हाईकोर्ट में यह लगाई गई याचिका गलत अवधारणा से जुड़ी हुई है. सीसीआईसी के मुताबिक डेटा इकट्ठा करने और उसे फेसबुक से शेयर करने का मामला प्रतिस्पर्धारोधी है या नहीं यह जांच के बाद ही साफ हो सकता है.