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Elon Musk को झटका, Neuralink को रिस्की बता कर को-फाउंडर ने छोड़ी कंपनी, दिमाग में चिप लगाती है ये कंपनी

Elon Musk Neuralink: एलॉन मस्क की ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस बनाने वाली कंपनी Neuralink के को-फाउंडर बेंजामिन रापोपोर्ट अलग हो गए हैं. न्यूरालिंक से अलग होते ही उन्होंने अपने एक कंपनी बनाई है. साथ ही उन्होंने Neuralink की टेक्नोलॉजी को रिस्की भी बताया है. उन्होंने कहा है कि इससे दिमाग को नुकसान पहुंच सकता है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.

Neuralink को को-फाउंडर ने बताया रिस्की Neuralink को को-फाउंडर ने बताया रिस्की
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 मई 2024,
  • अपडेटेड 6:26 PM IST

Elon Musk को एक और झटका लगा है. उनकी कंपनी Neuralink से एक बड़ा नाम अब अलग हो गया है. दरअसल, Neuralink के को-फाउंडर बेंजामिन रापोपोर्ट (Benjamin Rapoport) अब कंपनी से अलग हो गए हैं. ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस बनाने वाली Neuralink से अलग होते हुए बेंजामिन रापोपोर्ट ने इसकी सेफ्टी पर भी सवाल उठाया है. 

इस बारे में उन्होंने एक पॉडकास्ट में जानकारी दी है. Wall Street Journal के पॉडकास्ट The Future of Everything में बेंजामिन रापोपोर्ट ने इसका खुलासा किया है. 

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'Neuralink का तरीका रिस्की'

रापोपोर्ट पेशे से एक न्यूरोसर्जन हैं. बेंजामिन रापोपोर्ट ने बताया कि अपने करियर का ज्यादातर हिस्सा उन्होंने न्यूरल इंटरफेस की एडवांसिंग में लगाया है. उन्होंने कहा कि जब बात मेडिसिन और टेक्नोलॉजी को मर्ज करने की हो, तब उनकी प्रमुख्ता सेफ्टी है. 

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न्यूरालिंक से अलग होकर उन्होंने अपना वेंचर Precision Neuroscience एस्टैब्लिश किया है. रापोपोर्ट की मुख्य चिंता Neuralink के काम करने के तरीके को लेकर है. दरअसल, Neuralink छोटे-छोटे इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल दिमाग तक जानकारी पहुंचाने के लिए करता है, लेकिन रापोपोर्ट का मानना है कि इससे दिमाग को नुकसान पहुंच सकता है. 

कैसे काम करती है बेंजामिन रापोपोर्ट की कंपनी?

वहीं दूसरी तरफ उनकी नई कंपनी Precision Neuroscience एक अलग तरीके का इस्तेमाल करती है. Precision Neuroscience ऐसे इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल करती है, जो दिमाग की सतह पर रहते हैं, उसके अंदर नहीं जाते हैं. इस तरह से बेंजामिन इस पूरी प्रक्रिया को आसान और कम खतरनाक बनाना चाहते हैं. 

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Neuralink ने अपने ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस से लोगों का काफी ज्यादा ध्यान खींचा है. हालांकि, कंपनी पर कई आरोप भी लगते रहे हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो न्यूरालिंक ने अपने फैसिलिटी में बंदरों को ठीक से नहीं रखा. इन बंदरों पर ही ब्रेन चिप के तमाम टेस्ट किए जाते थे. इसका एक वीडियो भी काफी ज्यादा वायरल हुआ था, जिसमें एक बंदर पिन बॉल गेम खेल रहा था.

कुछ वक्त पहले ही एक इंसान पर भी इस चिप का इस्तेमाल किया जा चुका है. इस साल मार्च में इस इस चिप को पहली बार किसी इंसान के दिमाग में लगाया गया है. इसका वीडियो एलॉन मस्क ने शेयर किया था. Noland Arbaugh के दिमाग में इस चिप को लगाया गया है. वो क्वाड्रप्लीजिक नाम की बीमारी से पीड़ित हैं. 

Noland की गर्दन के नीचे का शरीर पैरालाइज्ड है, जिसकी वजह से वो ज्यादातर वक्त व्हीलचेयर पर ही रहते थे. एलॉन मस्क ने जो वीडियो शेयर किया था, उसमें दिखाया गया था कि कैसे नोलैंड अपने दिमाग में सोचकर एक कंप्यूटर पर गेम खेल रहे हैं. इसके लिए उन्हें अपने हाथों का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता है.

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