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नशे में आया था Twitter का आइडिया, इसकी कहानी में 'ड्रामा' है और 'टर्निंग प्वॉइंट' भी

Story of Twitter: फरवरी 2006 में जैक डोर्सी ने ट्विटर का आइडिया अपने दोस्त नोआ ग्लास से शेयर किया था. इसके बाद दोनों ने इसपर काम शुरू किया. बाद में नोआ ग्लास को ट्विटर से ही निकाल दिया गया था.

ट्विटर को बनाने का आइडिया जैक डोर्सी का था. (फाइल फोटो) ट्विटर को बनाने का आइडिया जैक डोर्सी का था. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 4:44 PM IST
  • जैक डोर्सी और नोवा ग्लास का था आइडिया
  • इसका शुरुआती नाम twttr रखा गया था
  • मार्च 2006 को डोर्सी ने पहला ट्वीट किया था

Story of Twitter: साल 2006 और महीना फरवरी का. अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर में एक बार के बाहर कार में दो लोग बैठे हुए थे. एक का नाम जैक डोर्सी था और दूसरे का नोआ ग्लास. दोनों नशे में थे. दोनों ODEO नाम की कंपनी से जुड़े थे. नोआ इस कंपनी के को-फाउंडर थे तो जैक इस कंपनी में वेब डेवलपर का काम करते थे. ODEO पॉडकास्ट बनाने वाली वेबसाइट थी. ये वो वक्त था जब Apple ने iPod लॉन्च किया था. इसके बाद ODEO की हालत खराब हो गई. कंपनी घाटे में चली गई.

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उस रात नशे में जैक डोर्सी ने नोआ से कहा, 'मेरे लिए यहां अब कुछ नहीं है. मैं सब छोड़कर फैशन डिजाइनर बनना चाहता हूं.' तब नोआ ने कहा, 'इरादा तो मेरा भी ऐसा ही है, लेकिन असल में तुम करना क्या चाहते हो?' जवाब में जैक ने कहा, 'एक ऐसी वेबसाइट बनाना चाहता हूं, जिस पर लोग अपना करेंट स्टेटस बताएं. वो क्या कर रहे हैं? क्या सोच रहे हैं?' आखिर में नोआ ने कहा, 'प्लान तो अच्छा है. इस पर काम करते हैं.'

कुछ दिनों बाद ODEO के ऑफिस में एक ग्रुप मीटिंग हुई. सभी से आइडिया मांगा गया. जैक डोर्सी ने एक कागज में अपना आइडिया लिखकर दिया. डोर्सी ने अपना प्लान बताया कि एक नंबर पर मैसेज करिए और आपका मैसेज सभी दोस्तों तक चला जाएगा. नोआ ने हामी भरी. नोआ ने डोर्सी के इस प्लान को 'twttr' नाम दिया. twitter का शुरुआती नाम यही था. 22 मार्च 2006 को डोर्सी ने पहला ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, 'just setting up my twttr' यानी 'बस अपने twttr को सेटअप कर रहा हूं.' 

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just setting up my twttr

— jack⚡️ (@jack) March 21, 2006

15 जुलाई 2006 को Twitter को ऑफिशियली लॉन्च कर दिया गया. कुछ दिनों बाद इसका नाम भी twttr से बदलकर Twitter कर दिया गया. हालांकि, शुरुआती कुछ महीनों बाद ही शेयरहोल्डर्स को लगा कि इस कंपनी का कोई भविष्य नहीं है और उन्होंने अपने शेयर बेच दिए. आज उसी ट्विटर को दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलॉन मस्क (Elon Musk) ने 44 अरब डॉलर (करीब 3.36 लाख करोड़ रुपये) में खरीद लिया.

 

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ट्विटर के नए मालिक होंगे एलॉन मस्क (फाइल फोटो-AP/PTI)

ट्विटर की कहानी में 'ड्रामा' भी है

ट्विटर की कहानी किसी ड्रामे से कम नहीं है. इसकी कहानी में इसके को-फाउंडर को भुला दिया गया. ये बात ट्विटर के शुरू होने से पहले की है. तब जैक डोर्सी बेरोजगार हुआ करते थे. उस समय डोर्सी ने अपना रिज्यूम एवन विलियम्स को भेजा. एवन विलियम्स blogger.com के फाउंडर थे, जिसे बाद में गूगल ने खरीद लिया था.

एवन विलियम्स की दोस्ती नोआ ग्लास से थी. एवन के जरिए डोर्सी को नोआ की कंपनी ODEO में जॉब मिल गई. बाद में डोर्सी और नोआ अच्छे दोस्त बन गए. ट्विटर दोनों का ही आइडिया था. एवन विलियम्स को ये आइडिया पसंद नहीं था, लेकिन फिर भी उसने साथ दिया. 

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जुलाई 2006 में ट्विटर की लॉन्चिंग के कुछ दिन बाद ही विलियम्स ने नोआ से कह दिया कि वो या 6 महीने में खुद ही ट्विटर को छोड़ दे या फिर उसे निकाल दिया जाएगा. नोआ ने डोर्सी से बात की, लेकिन बात नहीं बनी. कुछ दिनों बाद नोआ को ODEO और twitter दोनों से निकाल दिया गया. ODEO में एवन विलियम्स का पैसा लगा था. 

जैक डोर्सी, बिज स्टोन और एवन विलियम्स. (फाइल फोटो-Getty Images)

जब शेयरहोल्डर्स से हो गई भूल

ट्विटर की लॉन्चिंग के कुछ समय बाद ODEO के शेयरहोल्डर्स के सामने twitter का आइडिया रखा गया, जो उन्हें पसंद नहीं आया. सितंबर 2006 में एवन ने कंपनी के शेयरहोल्डर्स को लेटर लिखा और कहा कि वो कंपनी (twitter) के सारे शेयर्स खरीदने को तैयार हैं, ताकि उन्हें कोई नुकसान न उठाना पड़े. उस समय ट्विटर पर 5 हजार यूजर्स भी नहीं थे. विलियम्स ने सारे शेयर 5 मिलियन डॉलर में खरीद लिए. 5 साल बाद ही ट्विटर की कीमत 5 अरब डॉलर तक पहुंच गई. 

लॉन्चिंग के 7 साल बाद नवंबर 2013 में ट्विटर पब्लिक कंपनी बनी. उस समय उसकी मार्केट कैप 8 अरब डॉलर के आसपास थी, लेकिन आज कंपनी की मार्केट कैप करीब 40 अरब डॉलर के पास पहुंच गई है.

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लेकिन यहां तक कैसे पहुंचा twitter?

- ट्विटर के लिए सबसे बड़ा टर्निंग प्वॉइंट 3 अगस्त 2006 को कैलिफोर्निया में आया भूकंप रहा. ये बहुत हल्का भूकंप था, लेकिन इसका फायदा ट्विटर को मिला. लोगों ने ट्विटर पर अपनी-अपनी जगह का हाल बताया. तब लोगों को पता चला कि ट्विटर क्या है?

- मार्च 2007 में टेक्सास में साउथ बाय साउथवेस्ट कॉन्फ्रेंस हुई. ये म्यूजिक और सिनेमा का फेस्टिवल है. ट्विटर ने जगह-जगह टीवी स्क्रीन लगाई. लोग ट्वीट करते थे और स्क्रीन पर रियल टाइम अपडेट होता था. इससे लोगों को पता चलता था कि कहां पर क्या हो रहा है. उस समय जिस ट्विटर पर एक दिन में 20 हजार ट्वीट्स होते थे, 12 मार्च 2007 को 60 हजार से ज्यादा ट्वीट्स हुए.

ट्यूनिशिया से शुरू हुई 'ट्विटर क्रांति'

- दिसंबर 2010 में ट्यूनिशिया के सिदी बुज़ीद शहर में मोहम्मद बज़ीज़ी के फल के ठेले को नगरपालिका ने जब्त कर लिया. अगले दिन बज़ीज़ी अपना ठेला मांगने गया, लेकिन वहां उससे रिश्वत मांगी गई. हताश होकर उसने खुद को आग लगा ली. इस घटना का वीडियो बना और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. 

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- 4 जनवरी 2011 में बज़ीज़ी की मौत हो गई. इसके बाद विरोध प्रदर्शन तेज हो गए. ये विरोध प्रदर्शन सिर्फ ट्यूनिशिया तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि मिडिल ईस्ट के बाकी और देशों तक भी पहुंचे. सरकारें गिर गईं. 

- प्रदर्शनकारियों ने फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब की मदद ली. एक प्रोटेस्टर ने कहा था, 'हम फेसबुक के जरिए प्रदर्शन का समय तय करते हैं, ट्विटर के जरिए प्रदर्शन को को-ऑर्डिनेट करते हैं और यूट्यूब के जरिए अपनी कहानी दुनिया को बताते हैं.' इस पूरी घटना से ट्विटर को इतना फायदा हुआ कि इसे 'ट्विटर क्रांति' भी कहा जाता है.

15 डॉलर में खरीदी ट्विटर की 'चिड़िया'

लॉन्चिंग के कुछ सालों बाद ही दुनिया को पता चल गया था कि ट्विटर किस 'चिड़िया' का नाम है. ट्विटर का लोगो भी चिड़िया का है. इसे ब्रिटिश ग्राफिक्स डिजाइनर सिमोन ऑग्जली ने डिजाइन किया था. ऑग्जली ने इस लोगो को बेचने के लिए iStock पर अपलोड कर दिया. यहां से ट्विटर के एक स्टाफ ने इसे 15 डॉलर में खरीद लिया. यहीं से ट्विटर का लोगो एक चिड़िया बन गई.

 

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