
गूगल ने जानबूझ कर लोकेशन प्राइवेसी सेटिंग्स को मुश्किल बनाया है ताकि यूजर्स अपनी लोकेशन प्राइवेट न रख पाएं. ये खुलासा एक दस्तावेज से हुआ है. दरअसल अमेरिका के ऐरिजोना में गूगल के खिलाफ मुकदमा के दौरान ये दस्तावेज सामने आया है.
इंसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक इस दस्तावेज में इस बात का भी जिक्र है कि यूजर्स के लोकेशन शेयरिंग बंद करने के बावजूद भी कंपनी लोकेशन डेटा ऐक्सेस करती है. इसके अलावा इसमें कहा गया है कि प्राइवेसी सेटिंग्स को जानबूझ कर ऐसी जगह रखा गया है जहां यूजर्स को इसे ढूंढने में दिक्कत हो.
इतना ही नहीं, इसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक इस दस्तावेज में यहां तक है कि गूगल ने फोन निर्माताओं पर जबरदस्ती करके प्राइवेसी सेटिंग्स को हाइड करने के लिए कहा है. क्योंकि ये सेटिंग्स यूजर्स के बीच पॉपुलर थे.
गौरतलब है कि मई में अमेरिका के ऐरिजोना अटॉर्नी जनरल ने गूगल के खिलाफ मुकदमा किया था. कंपनी पर आरोप लगाया गया कि वो एंड्रॉयड यूजर्स का लोकेशन डेटा बिना उनकी सहमति के ट्रैक कर रहा है. ये भी आरोप लगाया गया है कि यूजर्स लोकेशन शेयरिंग बंद कर देता है इसके बाद भी लोकेशन डेटा गूगल कलेक्ट करता है.
इस लॉसूट में कहा गया है कि कंपनी कुछ फीचर्स के लिए बैकग्राउंड में लोकेशन ट्रैक ऑन रखती है. इसे डिसेबल तब ही किया जा सकता है जब यूजर्स इसे सिस्टम लेवल ट्रैकिंग से जा कर न बंद कर दें.
रिपोर्ट के मुताबिक इस दस्तावेज से इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि कंपनी के अफसरों और इंजीनियरों को ये पता है कि कंपनी ने स्मार्टफोन यूजर्स के लिए उनके लोकेशन डेटा को प्राइवेट रखना मुश्किल बना दिया है.
गूगल ने द वर्ज को इस रिपोर्ट के बाद एक स्टेटमेंट दिया है. इस स्टेटमेंट में कंपनी की तरफ से कहा गया है कि कंपनी ने हमेशा अपने प्रोडक्ट्स में प्राइवेसी फीचर दिया है और लोकेशन डेटा के लिए भी बेहतर कंट्रोल दिया है.