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Microsoft गूगल सर्च के साथ वही करने वाला है जो Yahoo ने गूगल के साथ किया, सीक्रेट प्रोजेक्ट की पूरी कहानी

एक समय पर Yahoo दुनिया का नंबर-1 सर्च इंजन हुआ करता था, लेकिन समय बदला और अब एक तरह से Yahoo सर्च का नामोनिशान मिट चुका है. Google सर्च पूरी तरह से मार्केट पर कब्जा जमा चुका है. लेकिन AI के आ जाने के बाद से चींजें बदल गई हैं माइक्रोसॉफ्ट कुछ ऐसा कर रहा है जिससे गूगल को वाकई डर लग रहा है, खास कर सर्च इंजन मार्केट में.

क्या Yahoo के राह पर चला Google Search क्या Yahoo के राह पर चला Google Search
Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:13 PM IST

By: Munzir Ahmad- गूगल सर्च का तरीक़ा अब काफ़ी पुराना हो चुका है. लगभग एक दशक से गूगल सर्च वैसा ही है. भले ही कई बदलाव हो चुके हैं और हर दिन होते रहते हैं, लेकिन सर्च करने का तरीक़ा कमोबेश वैसा ही है जैसे पहले हुआ करता था.

एक समय पर Yahoo! को सर्च इंजन का किंग कहा जाता था. Google ने Yahoo! की मोनॉपली ख़त्म कर दी और सर्च का किंग फ़िलहाल गूगल है. 

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जैसे Yahoo! को Google ने रिप्लेस कर लिया इसी तरह Google की मोनॉपली - सर्च में कौन तोड़ेगा? ये सवाल आपके मन में भी होगा. अगर आप ऐसा सोचते हैं कि गूगल ही आगे भी सर्च इंजन का किंग होगा तो शायद आप ग़लत हैं. क्योंकि अब चीजें बदल चुकी हैं और गूगल सर्च एक्सपीरिएंस पूरी तरह बदलने वाला है.

क्या है Google का सीक्रेट प्रोजेक्ट Magi जो गूगल सर्च को पूरी तरह से बदल देगा? Project Magi के बारे में नीचे बात करेंगे, पहले जानते हैं गूगल को इसकी जरूरत क्यों पड़ रही है?

गूगल सर्च को मिलने लगी टक्कर...

ChatGPT के आने के बाद से Google को नुक़सान हो रहा है. लेकिन कैसे?

हाल ही में Samsung और Microsoft के बीच कुछ बातचीत हो रही थी और सिर्फ़ इस बातचीत से ही Google के शेयर तेज़ी से टूटने  लगे और कंपनी को भारी नुक़सान हो गया. 

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ऐसा क्यों हुआ? दरअसल सैमसंग और ऐपल के तमाम स्मार्टफोन्स में डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन गूगल ही रहता है. गूगल सैमसंग और ऐपल को हर साल बिलियन डॉलर्स देता है. सिर्फ़ इसलिए की सैमसंग और ऐपल गूगल सर्च इंजन को अपने डिवाइसेज में डिफ़ॉल्ट रखें.

हाल ही में ये ख़बर आई की सैमसंग गूगल के साथ कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म करके माइक्रोसॉफ़्ट के साथ करार करने वाला है. बताया गया कि माइक्रोसॉफ़्ट अपने सर्च इंजन Bing को सैमसंग के सभी डिवाइसेज में डिफ़ॉल्ट रखना चाहता है और इसके लिए वो सैमसंग को गूगल से ज़्यादा पैसे देने के लिए तैयार है. बस ये रिपोर्ट सामने आते ही गूगल के शेयर्ट टूटने लगे.

बहरहाल, ऐसा हुआ नहीं और फ़िलहाल गूगल ही सैमसंग फ़ोन में डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन रहेगा. इसी तरह ये भी ख़बर आई की ऐपल और माइक्रोसॉफ़्ट के बीच पार्टनरशिप होने वाली है जिसके तहत ऐपल के डिवाइसेज में गूगल की जगह माइक्रोसॉफ़्ट बिंग को डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन के तौर पर रखा जाएगा.

फ़िलहाल ऐपल और सैमसंग दोनों कंपनियों ने कम से कम एक साल तक के लिए अपने डिवाइसेज में Google को ही डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन रहने दिया है. भले ही अभी इन कंपनियों ने माइक्रोसॉफ़्ट के साथ करार ना किया हो, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अगले साल ये दोनों कंपनियों अपने अपने स्मार्टफोन्स में डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन के तौर पर Microsoft Bing को रखना शुरू कर दें.

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अगर ऐसा हो गया तो ये गूगल की सबसे बड़ी हार होगी और Microsoft Bing के लिए ये Google Search को पीछे छोड़ने का अच्छा मौका होगा.

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क्यों Microsoft Bing अब Google Search पर भारी पड़ रहा है?

Microsoft का Bing सर्च इंजन नया नहीं है. काफ़ी पहले से Bing मौजूद है, लेकिन गूगल के मुक़ाबले अब तक ये कापी नीचे था और मार्केट शेयर भी कम था. लेकिन ChatGPT के आने के बाद वक़्त और जज़्बात दोनों बदल चुके हैं और अब कुछ ऐसा हुआ है दुनिया भर में Microsoft Bing को ज्याजा तरजीह मिलनी शुरू हो गई है.

माइक्रोसॉफ्ट अपने Edge Browser और BING के जरिए लोगों को फ्री GPT 4 और Copilot दे रहा है. इतना ही नहीं, Midjourney जैसे फीचर्स भी DALL-E के जरिए माइक्रोसॉफ्ट अपने एज और बिंग यूजर्स को देना शुरू कर चुका है. Google अपने ब्राउजर या सर्च इंजन में BARD दे रहा है, लेकिन सक्सेस नहीं है.

दरअसल ChatGPT की कंपनी Open AI में Microsoft ने काफ़ी पैसे इन्वेस्ट कर रखे हैं. इसलिए Microsoft ने अपने सर्च इंजन Bing में ChatGPT को बेहतरीन तरीक़े से इंटीग्रेट कर दिया और पुराने Bing को पूरी तरह बदल दिया गया.

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अब Microsoft Bing बदल चुका है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड ChatGPT की वजह से ये ज़्यादा पॉपुलर हो रहा. पॉपुलैरिटी की वजह ये भी है कि अब ये लोगों के सवालों के ज़्यादा बेहतर जवाब दे रहा है और AI को लेकर तेज़ी से इंप्रूवेमंट हो रहे हैं. आप ख़ुद Bing कुछ दिन यूज करेंगे तो समझ जाएँगे कि Bing कितना बदल चुका है.

क्या Google BARD फ्लॉप है?

ऐसा नहीं है कि Google AI पर काम नहीं कर रहा है. जैसे Microsoft ने अपने Bing सर्च इंजन में ChatGPT और Dall-E को इंटीग्रेट किया उसके तुरंत बाद गूगल ने BARD का ऐलान कर दिया.

Google BARD को ChatGPT का राइवल माना गया. BARD को गूगल ने Google Search में भी इंटीग्रेट किया, लेकिन बात नहीं बनी.

दरअसल गूगल जब जब दुनिया के सामने BARD का प्रेजेंटेशन दे रहा था उसी वक़्त स्टेज पर BARD कई सवालों के जवाब में उलझ गया और ग़लत जवाब दे दिए. इतना ही नहीं, एक तरफ़ जहां Google BARD लगातार ग़लतियाँ करता रहा, वहीं दूसरी तरफ ChatGPT में नए नए फ़ीचर्स आते रहे और GPT-4 का ऐलान हो गया जो BARD के मुक़ाबले काफ़ी आगे चला गया.

AI की दुनिया में GPT 4 मॉडल ने तहलका मचा दिया, क्योंकि ये मॉडल कितनी भी कॉम्प्लेक्स क्वेरी को हैंडल करने लायक़ है. इसे Microsoft ने Bing में बेहतर तरीक़े से इंटीग्रेट भी कर दिया है.

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Google Gemini की कहानी..

BARD के लगभग फ्लॉप होने के बाद Google ने Gemini पेश किया. Gemini के तीन मॉडल लॉन्च किए गए Gemini Nano, Gemini Pro और Gemini Ultra. इसके जरिए भी गूगल ने LLM यानी लार्ज लैंग्वेज मॉडल में OpenAI और माइक्रोसॉफ्ट को टक्कर देने की पूरी कोशिश की. लेकिन एक बार फिर से इसके साथ भी BARD जैसी ही बात हो गई. 

ये भी पढ़ें: क्या Google ने दिखाया Gemini का फेक वीडियो?

दरअसल गूगल ने Gemini लॉन्च प्रेजेंटेशन में काफी ग्राउंडब्रेकिंग चीजें दिखाईं जो Gemini के जरिए हो रही थीं. कंपनी ने कई वीडियोज जारी किए जिसे देख कर वाकई लगा कि गूगल अब Gemini के जरिए माइक्रोसॉफ्ट को सीधी टक्कर देगा, लेकिन बाद में पता चला कि गूगल ने जो वीडियोज दिखाए थे वो पूरी तरह सही नहीं थे. गूगल ने इस बात को माना की वो वीडियोज सिर्फ डेमोंस्ट्रेशन के लिए थे और वैसे असल जिंगदी में फिलहाल तो नहीं हो सकता. 

बहरहाल, Gemini एक शानदार लैंग्वेज मॉडल की तरह काम कर रहा है, लेकिन जैसे कंपनी ने बाताया था वैसा नहीं है और इसी वजह से लोगों ने फिर से इस पर ध्यान देना कम कर दिया है. भले ही गूगल Gemini को एंटरप्राइज लेवल पर बेचे, लेकिन एंड यूजर के लिए ये फिलहाल फीका ही है.

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गूगल सर्च पर कम होते लोग….

ChatGPT और Microsoft Bing दोनों ने मिल कर Google Search पर लोगों की डिपेंडेंसी कम कर दी. यहां तक की AI बेस्ड कई और सर्च इंजन आ गए जिस पर लोग तेजी से सर्च करने लगे. गूगल के रेवेन्यू का एक बड़ा हिस्सा ऐड से आता है और जाहिर सी बात है अगर लोग गूगल सर्च पर कम जाएंगे तो उन्हें ऐड्स भी कम मिलेंगे.

हालांकि अभी भी मार्केट शेयर में गूगल का पूरी तरह से कब्जा है, लेकिन ये भी सच है कि माइक्रोसॉफ्ट का बिंग और एज ब्राउजर की लोकप्रियता भी तेजी से बढ़ रही है. 

गूगल का प्रोजेक्ट मैजी क्या है? TechTonic With Munzir पॉडकास्ट में विस्तार से समझ सकते हैं.

Google Magi: क्या है गूगल का ये सीक्रेट प्रोजेक्ट?

गूगल को ये पता है कि Google Search में Bard लगा कर कुछ खास फायदा नहीं होगा. इसलिए, गूगल ने अप्रैल में एक सीक्रेट प्रोजेक्ट का ऐलान किया जिसका नाम Magi रखा गया.

इसे कुछ लोग मैजी कहते हैं और कुछ लोग मैजाई कहते हैं. लेकिन मेरे ख्याल से ये मैजी ही होगा, क्योंकि Magic से इसे लिया गया है. लोगों के अंदर AI को लेकर मैजिक का ही परसेप्शन है.

Google Magi के बारे में कंपनी ने फ़िलहाल पब्लिकली ज़्यादा जानकारी नहीं दी है. लेकिन अब तक जो निकल कर सामने आया है वो ये है कि कंपनी ने लगभग 200 लोगों को Project Magi पर काम करने को कहा है. अमेरिका में लिमिटेड यूज़र्स के साथ इसकी टेस्टिंग हो रही है और इस साल के अंत त

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गूगल AI बेस्ड सर्च इंजन पर काम कर रहा है जिसका नाम Magi है. इसी साल May में इसे कंपनी ने लॉन्च किया था और अमेरिका में इसका ट्रायल चल रहा है. फ़िलहाल इसके 10 लाख यूज़र्स बताए जाते हैं. इस साल के आख़िर तक इसके 30 मिलियन यूज़र्स हो जाएँगे ऐसा गूगल का प्रेडिक्शन है.

Project Magi से कैसे बदलेगा गूगल सर्च एक्सपीरिएंस?

Project Magi - प्रोजेक्ट मैजी के काम करने का तरीक़ा अलग होगा. अभी आप गूगल पर कुछ सर्च करते हैं तो रिज़ल्ट के तौर पर लिंक्स की एंडलेस लिस्ट ओपन होती है. आप किसी भी लिंक पर क्लिक करके उस वेबसाइट तक जाते हैं. लिंक वाला सिस्टम Project Magi में बदल सकता है.

  • आपके सर्च के बेसिस पर Magi आपकी दिलचस्पी समझ लेगा और उसी तरह के रिज़ल्ट देगा. ये ज़्यादा पर्सनलाइज्ड एक्सपीरिएंस देगा. एग्जाम्पल के लिए - आप अगर जूते ख़रीदने के लिए गूगल सर्च कर रहे हैं तो गूगल आपको आपके पसंद, साइज़, फ़िट और पहनने के स्टाइल के बेसिस पर प्रोडक्ट सजेस्ट करेगा.
  • पहले आपको ख़रीदने के लिए उस वेबसाइट तक जाना होता था, लेकिन MAGI के तहत आप डायरेक्ट गूगल सर्च से ही ख़रीद लेंगे और पेमेंट के लिए Google Pay का यूज करना होगा. यानी ट्रांजैक्शन भी गूगल से ही हो जाएगा.
  • Magi के साथ गूगल कॉन्वर्सेशनल सर्च पर भी काम करेगा. यानी आप चैटबॉट से जैसे बातचीत करते हैं वैसे ही यहाँ भी कर सकेंगे.
  •  कॉन्वर्सेशनल एक्सपीरिएंस का फ़ायदा ये होगा कि बार बार सर्च क्वेरी नहीं डालना पड़ेगा. जहां से आप सर्च छोड़ेंगे गूगल उसे याद रखेगा और जैसे ही आप उस चीज के बारे में सर्च करेंगे गूगल आपको वही सजेस्ट करके याद दिला देगा.
  •  सर्च इंजन का लेआउट बदल कर चैट जैसा बनाया जा सकेगा.

SEO और कॉन्टेंट बिज़नेस भी होगा प्रभावित…

कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि Google Magi आ जाने के बाद कॉन्टेंट बिज़नेस और SEO अलग तरह से काम करेंगे. SEO का फ़ोकस शिफ़्ट करके ज़्यादा पर्सनलाइज्ड बनाया जाएगा ताकि रैंकिंग में वो आ सकें.

कॉन्टेंट को AI जेनेरेटेड रेस्पॉन्स के लिहाज़ से भी ऑप्टिमाइज़ करना पड़ सकता है. चूँकि Magi में ज़्यादा पर्सनलाइजेशन पर काम किया जा रहा है, इसलिए SEO एक्सपर्ट्स को इंडिविजुअलाइज्ड सर्च एक्सपीरिएंस के हिसाब से ही कॉन्टेंट तैयार कराना होगा.

ज्यादार वेबसाइट्स का ट्रैफ़िक गूगल से ही आता है यानी लोग सर्च करते हैं और वहाँ से रिडायरेक्ट हो कर वेबसाइट पर जाते हैं. Magi के बाद ये भी बदल सकता है, क्योंकि लोगों का काम डायरेक्ट गूगल सर्च इंटरफ़ेस से ही हो जाएगा. ऐसे में वेबसाइट का बिज़नेस भी प्राभावित हो सकता है. देखना दिलचस्प होगा कि गूगल इसके बाद क्या नियम बनाता है.

बहरहाल, अब तक Project Magi की जितनी जानकारी आई है उससे ये मुझे उतना इंप्रेसिव नहीं लगता है और  Bard की तरह इसके फ़्लॉप होने के चासेंस ज़्यादा हैं. ऐसे में Microsoft Bing का फ्यूचर ज़्यादा बेटर लग रहा है.

आने वाले कुछ सालों के अंदर Microsoft Bing गूगल को कड़ी टक्कर दे सकता है. हाल ही में BARD के फ़्लॉप होने के बाद टेक इंडस्ट्री में ऐसी खबरें भी आईं कि सुंदर पिचाई को गूगल के सीईओ पद से हटाया भी जा सकता है.

दूसरी तरफ़ Microsoft के CEO सत्य नडेला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के फ़ील्ड Microsoft को एक नई ऊँचाई पर लेकर चले गए हैं. OpenAI की सबसिडरी में माइक्रोसॉफ़्ट 49% का हकदार है और आने वाले समय में नडेला OpenAI के बोर्ड में शामिल होंगे.

यहाँ से गूगल के लिए माइक्रोसॉफ़्ट को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की फ़ील्ड में टक्कर देना काफ़ी मुश्किल हो गया है. इसलिए अगर आने वाले कुछ सालों में Bing दुनिया का सबसे ज़्यादा यूज किया जाने वाला सर्च इंजन बन गया तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी.

आपको क्या लगता है? क्या गूगल सर्च का भी हाल Yahoo! वाला होगा? कॉमेन्ट में ज़रूर बताएं.

 

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