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डिस्काउंट का मायाजाल! सरकार ने 'Dark Patter' को किया बैन, इस्तेमाल किया तो लगेगा जुर्माना

Dark Pattern Bans: डिस्काउंट और ऑफर के नाम पर कंज्यूमर्स को अपने जाल में फंसाने वाले प्लेटफॉर्म्स पर सरकार ने नकेल कसनी शुरू कर दी है. सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर डार्क पैटर्न के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. अब कंज्यूमर्स को डिस्काउंट के नाम पर गुमराह करने पर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर जुर्माना लग सकता है. आइए जानते हैं पूरा मामला.

Dark Pattern को किया बैन, यूज करने पर लगेगा जुर्माना Dark Pattern को किया बैन, यूज करने पर लगेगा जुर्माना
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:17 PM IST

कंज्यूमर्स को मार्केटिंग के स्कैम से बचाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला किया है. इसके तहत ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर Dark Pattern के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है. कंज्यूमर्स की पसंद को भ्रमित होने से बचाने के लिए ये फैसला लिया गया है. इस संबंध में 'Guidelines for prevention and regulation of dark patterns' नोटिफिकेशन जारी हुआ है. 

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सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने 30 नवंबर को इस नोटिफिकेशन को जारी किया है. ये गजट नोटिफिकेशन गुड्स एंड सर्विस वाले सभी प्लेटफॉर्म पर लागू होगा. यहां तक की एडवरटाइजर और सेलर पर भी ये लागू होता है. 

क्या है Dark Pattern?

डार्क पैटर्न का इस्तेमाल करके कंपनियां यूजर्स को किसी प्रोडक्ट को खरीदने पर मजबूर करती हैं. इसमें गुमराह करने वाले ऐड्स या गलत ट्रेडिंग प्रैक्टिस या कंज्यूमर्स राइट्स के उल्लंघन को शामिल किया गया है. नियमों के उल्लंघन पर कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत जुर्माना लगाया जाएगा. 

कंज्यूमर अफेयर सेक्रेटरी रोहित कुमार सिंह ने बताया, 'उभरते डिजिटल कॉमर्स के दौर में डार्क पैटर्न का इस्तेमाल बढ़ रहा है. इसका इस्तेमाल प्लेटफॉर्म्स कंज्यूमर्स को उनकी पसंद और व्यवहार के आधार पर गुमराह करने के लिए किया जाता है.'

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नोटिफिकेशन के मुताबिक, कोई ऐसी प्रैक्टिस या यूजर इंटरफेस वाला डिजाइन पैटर्न या यूजर एक्सपीरियंस इंटरैक्शन या कोई प्लेटफॉर्म, जो यूजर को गुमराह करने या ट्रिक करने के लिए डिजाइन किया गया हो, डार्क पैटर्न है.

कैसे फंसाती हैं कंपनियां?

आसान भाषा में कहें, तो ग्राहकों को लुभाने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कई बार बड़े-बड़े ऑफर्स दिखाते हैं. मगर असल कहानी कुछ और होती है. उदाहरण के लिए- सेल में कई बार किसी फोन को 50 परसेंट पर दिखाया जाता है. ये डिस्काउंट बैनल पर लिखा होता है, लेकिन क्लिक करने पर पता चलता है कि फोन अपने MRP से 50 परसेंट प्राइस पर मिल रहा है, जो बॉक्स पर प्रिंटेड प्राइस होता है.

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असल कीमत MRP से काफी कम होती है. इतना ही नहीं बैनर पर दिखाए गए डिस्काउंट में बैंक ऑफर, एक्सचेंज ऑफर और दूसरे बेनिफिट्स शामिल होते हैं. यानी 500 रुपये के डिस्काउंट को कुछ इस तरह से दिखाया जाता है, जैसे फोन आधी कीमत पर मिल रहा हो. इसे ही डार्क पैटर्न कहा गया है.

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