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India Today Conclave: क्या दिमाग को भी किया जा सकेगा हैक? AI पर क्या बोले न्यूरोसाइंस प्रोफेसर

India Today Conclave 20224: पिछले साल की शुरुआत से ही AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चर्चा में बना हुआ है. अब चर्चा हो रही है कि AI का फ्यूचर क्या होगा और ये किस दिशा में जाएगा. इस क्रम में न्यूरल ब्रेन इम्प्लांट और सुपरह्यूमन जैसे टॉपिक्स पर भी खूब चर्चा हो रही है. इन्हीं टॉपिक्स पर न्यूरोसाइंस और बिजनेस के प्रोफेसर Moran Cerf ने बातचीत की है.

India Today Conclave में AI, न्यूरोसाइंस पर Moran Cerf ने की खास बातचीत India Today Conclave में AI, न्यूरोसाइंस पर Moran Cerf ने की खास बातचीत
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 7:07 PM IST

India Today Conclave 2024: क्या आपका दिमाग फ्यूचर में हैक किया जा सकता है? ये सवाल इसलिए क्योंकि दुनियाभर में कई कंपनियां दिमाग में चिप लगाने और इसे कंप्यूटर से कनेक्ट करने पर काम कर रही है. AI दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. दुनिया के हर बड़े मंच पर इस विषय पर खूब चर्चा हो रही है.

AI का फ्यूचर क्या होगा? इस बारे में हर कोई जानना चाहता है. वहीं दूसरी तरफ न्यूरल ब्रेन इंप्लांट पर भी बातचीत हो रही है. इन्हीं टॉपिक्स पर इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में चर्चा हुई है. 

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दो दिनों तक चलने वाले India Today Conclave में न्यूरोसाइंस और बिजनेस प्रोफेसर, Moran Cref ने बातचीत की है. इवेंट की शुरुआत उनसे उनके न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर के तौर पर रोजमर्रा की जिंदगी की बारे में बातचीत हुई. 

क्या दिमाग हो सकेगा हैक?

न्यूरोसाइंस पर एलॉन मस्क और तमाम दूसरे लोग काम कर रहे हैं. ये सब हमारे जीवन पर किस तरह से असर डालेगा. उन्होंने बताया कि बहुत से लोग इसमें दांव लगा रहे हैं. सवाल ये है कि क्या हम अपने दिगाम की क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं. इसके लिए एक डिवाइस को दिमाग में लगाना होगा, जो इंटरनेट से कनेक्ट होगा. 

ये हमारे दिमाग को वो जानकारी देगा, जो बॉयोलॉजिकल दिमाग को चाहिए होगा. बहुत से लोग इस पर काम कर रहे हैं, लेकिन इसमें हैक का खतरा भी रहेगा. हालांकि, इन टेक्नोलॉजी के साथ बना दिमाग, एक सामान्य इंसान के दिमाग से आगे होगा. 

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एलॉन मस्क के साथ डील करना कैसा रहता है? 

हम पिछले कई साल के काम कर रहे हैं. हमने जानवरों के दिमाग पर लंबे समय तक काम किया है. Neuralink की शुरुआत हुई, जब एलॉन मस्क ने इस दिशा में विचार किया. Moran ने बताया कि एलॉन मस्क और उनकी टीम तेजी से काम कर रही है. 

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अगर पांच साल पहले कोई इस विषय पर पूछता, तो मैं कहता कि इसमें 10 साल से ज्यादा का वक्त लगेगा. हालांकि, मस्क की टीम ने महज 5 साल में इस दिशा में बहुत काम कर लिया है. बतौर एकेडमिक पर्सन हमारा काम उन्हें लगातार आगे बढ़ते रहने के लिए जानकारी देते रहना होता है. 

Moran ना सिर्फ AI और न्यूरोसाइंस पर काम करते हैं, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति और दूसरे लोगों को सलाह भी देते हैं. ये सलाह न्यूक्लियर हथियारों से लेकर कड़े नियमों को बनाने तक पर होती है. 

क्या AI एक खतरा है? 

ये एक जंग की तरह है, जैसी न्यूक्लियर हथियार को लेकर है. जिस तरह से न्यूक्लियर हथियार का इस्तेमाल विनाश के लिए किया जा सकता है, जबकि न्यूक्लियर प्लांट्स, एनर्जी का एक बड़ा सोर्स है. ऐसा ही AI के साथ भी है. AI अच्छा या बुरा नहीं हो सकता है. ये निर्भर करता है कि इसे इस्तेमाल करने वाला कैसा है. 

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AI का इस्तेमाल बहुत तरीकों से हो रहा है. इसे लेकर दुनियाभर की सरकारों को एक नियम तय करना होगा. आज हम AI, न्यूरोसाइंस, Neralink जैसी चीजों पर बात कर रहे हैं. हमें ये मानना होगा कि ये बहुत ही आकर्षक चीजें है, इनमें रिस्क है, लेकिन एक बार जब ये उपलब्ध होंगी, तो क्या होगा हमें इस बारे में नहीं पता है. 

इसके निगेटिव साइड्स भी हैं. न्यूरोलिंक में आपके दिमांग में ड्रिल करके एक चिप लगाई जाती है, जो क्लाउस कम्प्यूटर से कनेक्टेड होगी. इसके कई रिस्क होंगे. ये सब किसी साइंस फ्रिक्शन जैसा है, लेकिन साइंस फ्रिक्शन के सच होंगे पर रिजल्ट कई बार अलग होते हैं. 

क्या है Neuralink? 

Neuralink एक न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी है, जिसकी स्थापना Elon Musk ने की थी. इस कंपनी का उद्देश्य ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस टेक्नोलॉजी विकसित करना है. आसान भाषा में कहें, तो कंपनी एक ऐसी टेक्नोलॉजी बनाना चाहती है, जो इंसानों के दिमाग और कंप्यूटर को आपस में जोड़ सके. 

इसके लिए इंसानों के दिमाग में एक चिप इंप्लांट की जाएगी. इसका ट्रायल जानवरों पर हो चुका है. एलॉन मस्क ने इसका वीडियो भी शेयर किया था, जिसमें एक बंदर अपने दिमाग की मदद से एक गेम खेल रहा था. इस गेम को खेलने के लिए वो बिना छूए ही जॉयस्टिक को कंट्रोल कर रहा था. 

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उम्मीद है कि इस टेक्नोलॉजी की मदद से पैरालायसिस से परेशान लोगों को मदद मिलेगी. इस चिप की मदद से एक पैरालाइज शख्स अपने दिमाग का इस्तेमाल करके स्मार्टफोन यूज कर पाएगा. इसके लिए उसे अपने हाथ या पैर का इस्तेमाल नहीं करना होगा. मस्क इसके बार में साल 2016 से बात कर रहे हैं.

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