
India Today Conclave 2025 में टोबी वाल्श ने 'Future.Ai: Agent or Master?' विषय पर चर्चा की है. उन्होंने बताया कि आज के वक्त में हर दिन अरबों डॉलर का निवेश AI पर किया जा रहा है. इससे पहले किसी टेक्नोलॉजी में इतना निवेश नहीं देखने को मिला था. ये दुनिया भर के R&D बजट का 20 फीसदी है.
उन्होंने कहा कि चीन के Deepseek ने बहुत से लोगों को चौंकाया है. खासकर अमेरिका के लोगों को. इस सेक्टर में बहुत कुछ आगे होने वाला है. भारत अगला AI एक्शन समिट होस्ट कर रहा है. वाल्श ने बताया कि फ्रांस में हुए AI एक्शन समिट के बाद उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्रो मोदी से हुई थी, जिसमें PM ने उनसे कई सारे सवाल किए थे.
टोबी ने कहा कि अमेरिका ने AI के लिए अरबों डॉलर खर्च किए हैं, लेकिन चीन ने कम कीमत में इसे बनाया है. चीन ने ये टेक्नोलॉजी ना सिर्फ कम कीमत में बनाई है, बल्कि अमेरिका के लेटेस्ट GPU एक्सपोर्ट पर रोक के बाद बनाई है. ऐसे में भारत भी अपना AI मॉडल तैयार कर सकता है.
जैसे आज बिजली हर जगह है, उसी तरह AI भी भविष्य में हर जगह होगा. डेटा भी आज हर जगह मौजूद है, तो AI भी सभी के पास हो सकता है. कुछ लोगों को पहल करने का फायदा जरूर मिलेगा, लेकिन AI किसी एक का नहीं होगा. हर किसी का अपना AI मॉडल हो सकता है, जो उनके स्मार्टफोन पर उनके हिसाब से काम करेगा.
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वाल्श ने बताया कि भारत के पास वो रॉ मैटेरियल है, जो AI को तैयार करने के लिए जरूरी है. भारत के पास लोग हैं, जिनका डेटा सेट बहुत बड़ा है. यानी आपके पास बहुत ज्यादा डेटा है, जिसकी मदद से AI को तैयार या ट्रेन किया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि आपको मशीनों के आगे निकलने के बारे में नहीं सोचना चाहिए. मशीनें वहीं करेंगी, जो हम उनसे करने के लिए कहेंगे. आज हम जैसे स्मार्टफोन या कंप्यूटर इस्तेमाल कर रहे हैं, वो वैसा ही रिजल्ट हमें देते हैं. इंसान किसी टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं. मशीन की अपनी कोई इच्छा नहीं है.
कार्यक्रम में टोबी ने कहा कि हमने कई टेक्नोलॉजी को रेगुलेट किया है. न्यूक्लियर वेपन, केमिकल वेपन समेत कई टेक्नोलॉजी को हमने रेगुलेट किया है. AI को भी किया जा सकता है. इसे खुली छूट नहीं होनी चाहिए.
वाल्श ने बताया कि मशीन हमारी मास्टर नहीं बनेगी. ये जरूर हो सकता है कि हम खुद को मशीन का गुलाम बना लें. मशीन को ऐसे डिजाइन किया जाता है कि उनकी आदत लोगों को लगती है. ऐसे में हो सकता है कि हमें किसी दिन एहसास हो कि हमने मशीनों को अपने बहुत से काम करने की आजादी दे दी है.
दुनिया भर में फिजिकल हेल्थ पर ध्यान दिया जाता है. यहां किसी ड्रग को टेस्ट करने के लिए नियम बनाए गए हैं, लेकिन हम मेंटल हेल्थ को भूल गए हैं. सोशल मीडिया कंपनियां लोगों की मेंटल हेल्थ पर एक्सपेरिमेंट कर रही हैं.
टोबी ने अपनी भविष्यवाणी पर बात करते हुए बताया कि 2062 तक AI इंसानों जितने समझदार हो सकते हैं. ये सिर्फ मेरा नहीं बल्कि हमारी 300 लोगों की टीम का कयास है. जब ऐसा होगा तो AI इंटेलिजेंस के स्तर पर वो सारे काम कर सकेंगे जो हम करते हैं.
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AI का फायदा किसी एक को नहीं होगा बल्कि इसका बेनिफिट सभी को मिलेगा. सोशल मीडिया के जरिए लोगों के जीवन में घुसना आज बहुत आसान हो चुका है. अब हमने इसमें AI को भी लगा दिया है, जिसका रिजल्ट खतरनाक हो सकता है.
वहीं हाल में वायरल हुए दो AI एजेंट्स की बातचीत के वीडिय पर उन्होंने बताया कि ये एक एक्सपेरिमेंट था. वायरल वीडियो में दोनों AI ने बातचीत के दौरान अपनी भाषा को बदल लिया था. इस वीडियो को लेकर लोगों के डर पर टोबी वाल्श ने कहा कि उस एक्सपेरिमेंट में ऐसा कुछ नहीं हुआ था, जो लोगों को डराए. AI एजेंट्स ने इसलिए स्विच किया था क्योंकि उन्हें इंग्लिश से बेहतर विकल्प मिल रहा था. ये उस एक्सपेरिमेंट का हिस्सा था.