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आपकी हर कॉल के लिए जब Jio को भरने पड़े थे पैसे, कंपनियों ने वसूला था कई हजार करोड़

Jio की लॉन्चिंग के साथ लोगों को भारतीय टेलीकॉम सेक्टर का दूसरा रूप दिखा. जियो की एंट्री से पहले तक टेलीकॉम कंपनियां रेट कटर, टॉप अप, टॉकटाइम जैसे वाउचर्स बेचा करती थी, जो अब डेटा रिचार्ज वाउचर में तबदील हो गए हैं. जियो के लिए ये सब कर पाना आसान नहीं था. एक वक्त ऐसा भी आया, जब अनलिमिटेड कॉलिंग का दौर ही खत्म हो गया था.

Jio को जब भरने पड़े थे हजार करोड़ रुपये Jio को जब भरने पड़े थे हजार करोड़ रुपये
अभिषेक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 07 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST

जियो का नाम आते ही सबसे पहली चीज जो लोगों के जेहन में आती है, वो सस्ती टेलीकॉम सर्विस है. भले ही जियो की सस्ती सर्विस आज लोगों के लिए आम हो चुकी हो, लेकिन एक दौर ऐसा भी आया था जब जियो के लिए मार्केट चुनौतियों से भर गया. साल 2016 में भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में एंट्री करने वाली जियो एक अलग स्ट्रैटजी के साथ बाजार में आई थी. 

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कंपनी का मुख्य फोकस इंटरनेट और डेटा चार्ज पर था. जियो की एंट्री से पहले तक टेलीकॉम सेक्टर में मौजूद सभी कंपनियों का मुख्य फोकस कॉलिंग सर्विसेस पर था.

उस वक्त तक दूसरी कंपनियों के रिचार्ज में मुख्य चर्चा कॉलिंग सर्विसेस की हुआ करती थी, जबकि डेटा का हाल SMS वाला था. यानी सेकेंडरी बने रहना. जियो ने लॉन्च से पहले ही अपनी स्ट्रैटजी बना ली थी.

कंपनी ने जब मार्केट में कदम रखा, तो उन्होंने कॉलिंग सर्विसेस को एक तरह के कॉम्प्लिमेंट्री बना दिया. रिचार्ज में मुख्य चर्चा डेटा पर होने लगी. ये जो आज डेली डेटा वाले रिचार्ज प्लान हम देख रहे हैं, ये जियो की ही देन है. कंपनी के प्लान्स लोगों को काफी पसंद आ रहे थे और जियो के सब्सक्राइबर्स की संख्या हर दिन बढ़ रही थी. 

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जब Jio को भरने पड़े कई हजार करोड़

साल 2019 नें एक वक्त ऐसा भी आया, जब जियो के लिए फ्री कॉलिंग मुसीबत बन गई. हुआ कुछ ऐसा की कंपनी को Airtel और Vodafone-Idea को NET IUC के नाम पर 13,500 करोड़ रुपये भरने पड़े. कंपनी ने ये कीमत पीछे तीन साल यानी 2016 से 2019 तक के लिए चुकाई थी और इसके साथ ही फ्री कॉलिंग का युग खत्म हो गया. 

अक्टूबर 2019 में कंपनी ने अपने प्लान्स के साथ अनलिमिटेड कॉलिंग की सुविधा देना बंद कर दिया. इसके बाद से कंपनी हर मिनट के लिए 6 पैसे चार्ज करती थी, जो उसे IUC (Interconnect Usage Charge) के नाम पर दूसरी कंपनियों को देने होते थे. हालांकि, यह चार्ज जियो से जियो पर कॉलिंग के लिए नहीं लिया जाता था. 

क्या होता है IUC और कैसे लौटा अनलिमिटेड कॉलिंग का दौर? 

सवाल आता है कि Interconnect Usage Charge क्या है, जिसकी वजह से अनलिमिटेड कॉलिंग का दौरा खत्म हो गया था. दरअसल, एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क पर कॉल करने के लिए एक चार्ज लगता था, इस चार्ज को इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज कहते हैं.

ट्राई के तय नियम के हिसाब से उस वक्त एक ऑपरेटर दूसरे ऑपरेटर को हर मिनट की कॉल के लिए 6 पैसे देता था. एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने जियो से यही चार्ज वसूल किया था.

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इसके लिए कंपनी को 13,500 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा और इसके बाद जियो ने कॉलिंग सर्विसेस के लिए चार्ज लेना शुरू कर दिया था. जियो ने इसके खिलाफ TRAI से गुहार लगाई. एक लंबी लड़ाई के बाद ट्राई ने 1 जनवरी 2021 से Interconnect Usage Charge को जीरो कर दिया. इसके साथ ही एक बार फिर अनलिमिटेड कॉलिंग का दौर लौट आया. 

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