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...जब इस ऐप से सुकेश ने फंसाया था जैकलीन को, किसी भी नंबर से की जा सकती है कॉल, प्ले स्टोर पर भी मौजूद

Money Laundering Case: Jacqueline Fernandez को Sukesh Chandrashekhar ने कॉल स्पूफिंग के जरिए फंसाया था. कॉल स्पूफिंग करना अब काफी ज्यादा आसान हो गया है. इस वजह से ये कॉमन भी हो गया है. कई ऐसे ऐप्स गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद हैं जिनसे स्पूफ कॉल की जा सकती है.

जैकलीन-सुकेश (आजतक) जैकलीन-सुकेश (आजतक)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:19 AM IST

Money Laundering Case में बॉलीवुड एक्ट्रेस जैकलीन फर्नांडिस पर कानून का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. ठग सुकेश चंद्रशेखर से जुड़े 200 करोड़ रुपये के रंगदारी-धोखाधड़ी मामले में उनसे पूछताछ हो रही है. इससे पहले ED ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में अपनी चार्जशीट दाखिल की थी उसमें बताया गया था जैकलीन फर्नांडिस को Sukesh Chandrashekhar की ओर स्पूफ कॉल आया था. 

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इसके बाद ही बॉलीवुड एक्ट्रेस जैकलीन सुकेश के जाल में फंसती चली गई. रिपोर्ट में बताया गया है कि सुकेश चंद्रशेखर ने ये कॉल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ऑफिस के नंबर से किया था. इस वजह से जैकलीन ने विश्वास कर लिया कि ये कॉल अमित शाह के ऑफिस से ही आ रही हैं. 

लेकिन, क्या कोई किसी को किसी के भी मोबाइल नंबर से कॉल कर सकता है क्या? जी हां, ऐसा संभव है. इसे कॉल स्पूफिंग (Call Spoofing) कहते हैं.जब आप किसी को किसी और के नंबर से बिना उसकी जानकारी के कॉल करते हैं तो इसे कॉल स्पूफिंग कहा जाता है. 

क्या है Call Spoofing?

इसको आसान भाषा में ऐसे समझें अगर मैंने आपको आपके ही किसी दोस्त के नंबर से कॉल किया. लेकिन, इसकी जानकारी आपके दोस्त को भी नहीं है. लेकिन, आपने अपने दोस्त के नंबर से कॉल आने की वजह से यकीन कर लिया ये कॉल उसने ही किया है. इसे कॉल स्पूफ कहा जाता है. 

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इसके जरिए स्कैम की शुरुआत साल 2004 में शुरू हुई थी. तब ऐसी कॉल करने के लिए काफी ज्यादा टेक्निकल स्किल्स की जरूरत होती थी. अब इसके लिए कई ऐप्स हैं जो आसानी से ऐसा करने की सुविधा देते हैं. हैरानी की बात ये है कि ऐसे ऐप्स गूगल प्ले स्टोर पर भी मौजूद हैं. 

इन ऐप्स से कॉल करने वाली की आईडी बदल जाती है. जिससे सामने वाले को लगता है कि कॉल किसी खास व्यक्ति ने ही किया है. इसके लिए आपको पेड सर्विस भी लेनी होती है. कई बार लोग प्रैंक के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं. 

लेकिन, जब किसी खास टारगेट को निशाना बनाया जाता है तो उसके लिए Orange boxing कॉन्सेप्ट अपनाया जाता है. इससे सामने वाला कॉल करने की जाल में आसानी से फंस जाता है. इससे ऑडियो सिग्नल को कॉल के दौरान टेलीफोन लाइन से मिला दिया जाता है. इससे सामने वाले को लगता है कि किसी खास नंबर से कॉल आ रही है. 

 

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