
नेपाल में कल एक बड़ा विमान हादसा हो गया. नेपाल के पोखरा में यति एयरलाइंस का ATR-72 विमान क्रैश हो जाने से विमान में सवार सभी यात्रियों के मारे जाने की खबर है. इसमें 4 क्रू मेंबर्स समेत 68 पैसेंजर्स सवार थे. इस हादसे को लेकर अभी वजह साफ नहीं है.
अभी इसकी जांच चल रही है. बताया जा रहा है कि तकनीकी खराबी या मानवीय त्रुटि के चलते ये हादसा हुआ होगा. पूरी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही क्रैश की वजह सामने आ पाएगी. जांच कमेटी ब्लैक बॉक्स की भी खोज करेगी. ब्लैक बॉक्स से ही पता चल पाएगा कि क्रैश से पहले विमान में क्या चल रहा था.
क्या है ब्लैक बॉक्स?
ब्लैक बॉक्स एक ऐसा डिवाइस है जो एयरक्राफ्ट में होता है. ये एयरक्राफ्ट और फ्लाइट पैरामीटर्स की परफॉर्मेंस को रिकॉर्ड करता है. इसमें कई फैक्टर्स रिकॉर्ड होते हैं. ये एयरस्पीड, अल्टीट्यूड. वर्टिकल एक्सलेरेशन और फ्यूल फ्लो को रिकॉर्ड करता है.
इसमें दो कंपोनेंट्स होते हैं. एक कंपोनेंट फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और एक कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) होता है. CVR जैसा की नाम से ही साफ है ये कॉकपिट में हुए बातचीत को रिकॉर्ड करता है. इसमें पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल के साथ हुई बातचीत को रिकॉर्ड किया जाता है.
हालांकि, CVR में केवल 2 घंटे की कॉकपिट रिकॉर्डिंग होती है. एक फिक्स टाइम के साथ इसको नए डेटा के साथ रिप्लेस कर दिया जाता है. जबकि FDR में 25 घंटे तक का फ्लाइट डेटा स्टोर होता है.
ऑरेंज कलर का होता है ब्लैक बॉक्स
ब्लैक बॉक्स को जेनरली प्लेन के सबसे पिछले हिस्से में फिट किया जाता है. माना जाता है कि इससे क्रैश में सर्वाइव कर जाता है क्योंकि ये सबसे कम प्रभावित वाला हिस्सा होता है. हालांकि, ये डिवाइस काफी ड्यूरेबल होता है और 3,400 Gs या ग्रेविटेशनल एक्सीलरेशन को भी सर्वाइव कर जाता है.
इसके अलावा ये 1100 °C टेम्परेचर और 20,000 फिट डेप्थ अंडर वाटर प्रेशर को भी झेल सकता है. हालांकि, ब्लैक बॉक्स केवल नाम का ब्लैक है, इसका कलर जेनरली डीप ऑरेंज कलर का होता है.
ANC ATR 72 के केस में ब्लैक बॉक्स को खोजकर कन्फर्म किया जाएगा कि फ्लाइट सही अल्टीट्यूड पर उड़ रही थी या नहीं. ग्राफ डिटेल्स के अनुसार, फ्लाइट की अल्टीट्यूड लिमिट से ज्यादा थी. हालांकि, ब्लैक बॉक्स के मिलने से पता चलेगा कि फ्लाइट के दौरान पायलट को लो फ्यूल या कम्युनिकेशन में कोई दिक्कत आ रही थी या कोई और परेशानी हुई थी.