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Nokia से पंगा लेना चीनी कंपनियों को पड़ा भारी, Oppo और OnePlus को किया गया इस देश में बैन, जानें वजह

Nokia के पेटेंट केस को Oppo हार गया है. इस वजह से अभी Oppo और OnePlus अपने मोबाइल डिवाइस को जर्मनी में बेच नहीं सकता है. जानिए क्या है पूरा मामला.

Nokia Nokia
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST
  • नोकिया के पेटेंट केस की वजह से लगा बैन
  • Oppo और OnePlus फिलहाल जर्मनी में बैन

चीनी स्मार्टफोन कंपनी Oppo और OnePlus को बड़ा झटका लगा है. ये झटका Nokia की वजह से लगा है. Nokiamob.net  की एक रिपोर्ट के अनुसार, मैनहेम रीजनल कोर्ट ने पेटेंट विवाद का फैसला नोकिया के पक्ष में सुनाया है. 

कोर्ट ने ये फैसला नोकिया के दायर किए गए उस केस में दिया जिसमें कंपनी ने Oppo और OnePlus पर पेटेंट का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. इससे पहले नोकिया इन चीनी कंपनियों के साथ समझौता चाह रहा था लेकिन, विफल होने पर पिछले साल चार अलग-अलग देशों में ओप्पो पर केस दर्ज करवाया गया था. 

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रिपोर्ट में बताया गया है कि अब इस फैसले की वजह से Oppo और OnePlus अपने डिवाइस को जर्मनी में नहीं बेच सकते हैं. हालांकि, ये परमानेंट बैन नहीं है. नोकिया ने Oppo के खिलाफ पेटेंट विवाद में अपनी पहली जीत हासिल की है. 

हालांकि, इस केस में ये पहला फैसला है. फिलहाल के Oppo और उसके सहयोगी ब्रांड OnePlus जर्मनी में मोबाइल डिवाइस नहीं बेच सकते हैं जो नोकिया के यूरोपीय पेटेंट EP 17 04 731 का उल्लंघन करते हैं. 

क्या है केस?

इस पेटेंट को लेकर कहा गया है कि ये एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो WiFi कनेक्शन को स्कैन करने से प्रोटेक्ट करती है. Nokia ने साल 2021 में Oppo के खिलाफ पेटेंट इंफ्रिंजमेंट को लेकर एशिया और यूरोप के कई देशों में केस किया था. इसमें भारत, यूके, फ्रांस और जर्मनी जैसे देश शामिल हैं. 

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इस केस में Oppo को लेकर नोकिया ने कहा है कि उसकी पेटेंट टेक्नोलॉजी को कंपनी ने बिना वैलिड लाइसेंस के यूज किया. CNBC की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि केस में दावा किया गया है कि Oppo Nokia के स्टैंडर्ड इसेंशियल पेटेंट (SEPs)और नॉन-SEPs जैसे UI/UX और सिक्योरिटी फीचर्स को बिना लाइसेंस के यूज किया. 

नोकिया ने क्या कहा?

Nokiamob की रिपोर्ट के अनुसार, नोकिया ने इस केस पर कहा है कि उसके फेयर और रिजनेबल प्रोपोजल को ओप्पो ने रिजेक्ट ने कर दिया था. जिसके बाद उनके पास एकमात्र कोर्ट जाने का ही रास्ता बचा था. 

 

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