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अकेले Rashmika Mandanna का ही नहीं, इस साल इंटरनेट पर आए 1.43 लाख Deepfake Video

How to detect Deepfake: एक्स्ट्रेस रश्मिका मंदाना का डीपफेक वीडियो वायरल होने के बाद इस ये वापस चर्चा में आ गया है. पहले भी डीपफेक का इस्तेमाल करके पॉपुलर शख्सियतों के वीडियो वायरल किए गए हैं. साल 2023 में ही 1.43 लाख से ज्यादा डीपफेक वीडियो इंटरनेट पर अपलोड किए गए हैं. क्या इन्हें रोकने के लिए कोई तरीका इजात किया गया है. आइए जानते हैं इसकी डिटेल्स.

1.43 लाख से ज्यादा Deepfake वीडियो साल 2023 में हुए अपलोड (AI Generated Photo) 1.43 लाख से ज्यादा Deepfake वीडियो साल 2023 में हुए अपलोड (AI Generated Photo)
अभिषेक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:14 AM IST

Deepfake एक बार फिर चर्चा में है. एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना का Deepfake वीडियो वायरल होने के बाद इसकी चर्चा हो रही है. ये कोई पहला मौका नहीं है जब डीपफेक का इस्तेमाल किया गया है. हर साल लाखों लोग इस तकनीक के मिस्यूज का शिकार हो रहे हैं. मसलन आपको इंटरनेट पर इसके तमाम उदाहरण देखने को मिलते हैं, लेकिन जब मामला बड़ी हस्तियों से जुड़ा हुआ होता है तो उस पर लोगों का ध्यान जाता है. 

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सवाल आता है कि Deepfake वीडियो बनना इतना आसान कैसे हो जाता है. इसकी शुरुआत 1990 में रिसर्चर्स ने की थी, लेकिन बाद में इसका इस्तेमाल ऑनलाइन कम्युनिटी में होने लगा. इन वीडियोज को AI और मशीन लर्निंग की मदद से क्रिएट किया जाता है. 

एनालिस्ट जेनेवीव ओह के मुताबिक, AI जनरेटेड अश्लील तस्वीरें अपलोड करने वाली वेबसाइट्स पर 2018 के बाद से नकली अश्लील फोटोज की संख्या में 290 परसेंट की वृद्धि हुई है. उन्होंने बताया, डीपफेक के लिए मशहूर 40 वेबसाइट्स को खंगालने पर पाया गया कि साल 2023 में ही 1.43 लाख के अधिक ऐसे वीडियो अपलोड किए गए हैं. 

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इन वीडियोज में कम उम्र की लड़कियों के साथ अलग-अलग सेक्टर के पॉपुलर लोगों के वीडियो तक शामिल हैं. एक्सपर्ट्स की मानें तो कई ऐप्स का इस्तेमाल करके इस तरह के वीडियो क्रिएट किए जाते हैं. 

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कैसे बनाए जाते हैं Deepfake Video? 

फोटोशॉप और दूसरे ऐप्स की मदद से फेक फोटोज या वीडियो क्रिएट करना नया नहीं है. Deepfake इससे थोड़ा आगे की कहानी है, जिसमें AI का इस्तेमाल किया जाता है. दरअसल, एक एल्गोरिद्म को किसी एक शख्स के तमाम रियल वीडियो से ट्रेन किया जाता है, इसे डीप लर्निंग कहते हैं. 

इसके बाद किसी दूसरे वीडियो में इसका इस्तेमाल किया जाता है. उदाहरण के लिए किसी दूसरे वीडियो में डीप लर्निंग की मदद से पहले वीडियो वाले शख्स के चेहरे को रिप्लेस किया जाता है. इसमें वॉयस क्लोनिंग का भी इस्तेमाल किया जाता है, जिससे वीडियो को असली जैसा बनाया जा सके. 

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क्या इस तरह के वीडियो के लिए कुछ किया गया है? 

कुछ एक कंपनियों ने डीपफेक वीडियोज को पकड़ने के लिए टूल डेपलप किए हैं. ऐसे टूल्स पर निदरलैंड बेस्ड Sensity AI और एस्टोनिया बेस्ड Sentinel जैसे स्टार्टअप काम कर रहे हैं. ये स्टार्टअप डीपफेक डिटेक्शन टेक्नोलॉजी को स्पॉट करने पर काम कर रहा हैं. Intel ने पिछले साल ऐसा एक टूल लॉन्च किया है. 

कंपनी ने FakeCatcher को पिछले साल लॉन्च किया था. Intel की मानें तो ये ऐप 96 परसेंट तक फेक कंटेंट को डिटेक्ट कर सकता है. अमेरिकी डिफेंस डिपार्टमेंट भी इस तरह के कंटेंट को पकड़ने के लिए टूल विकसित कर रही है.

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