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पश्चिम बंगाल में ट्रेन हादसा: रेलवे का 'कवच' रोक सकता है ट्रेन दुर्घटना, यहां क्यों नहीं आया काम?

पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में ट्रेन हादसा हुआ है. इस हादसे में एक मालगाड़ी ने सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी. इसमें कुछ लोगों की मौत हुई है और कई लोग घायल हुए हैं. आज आपको ट्रेन एक्सिडेंट को रोकने वाले खास सिस्टम कवच के बारे में बताने जा रहे हैं. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं कि यह क्या है और कैसे काम करता है?

Rail accident: ट्रेन हादसों को कैसे रोकता है कवच? Rail accident: ट्रेन हादसों को कैसे रोकता है कवच?
रोहित कुमार
  • नई दिल्ली ,
  • 17 जून 2024,
  • अपडेटेड 12:11 PM IST

पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाई गुड़ी में एक बड़ा ट्रेन हादसा हुआ. इस हादसे में एक मालगाड़ी ने सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी. इस टक्कर की वजह से कंचनजंगा एक्सप्रेस की कई बोगियां पटरी से उतर गईं. इस हादसे में कई लोगों की मौत हो चुकी है और बहुत से लोग घायल हैं. अब सवाल आता है इस हादसे में 'कवच' सिस्टम ने काम क्यों नहीं किया. 

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रेलवे की तरफ से अभी तक इस तरह के ट्रेन हादसों को रोकने वाले कवच सिस्टम को लेकर कोई अपडेट नहीं दिया है. लेकिन यहां आपको रेलवे के इस सेफ्टी सिस्टम कवच के बारे में बताते हैं. यहां बताने जा रहे हैं कि रेलवे का कवच सिस्टम क्या है, कैसे काम करता है. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं. 

रेलवे का Kavach प्रोटेक्शन सिस्टम क्या है? 

रेलवे का Kavach एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे भारतीय रेलवे ने रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (RDSO) की मदद से डेवलप किया है. इस सिस्टम पर रेलवे ने साल 2012 में काम शुरू किया था. शुरुआत में इस प्रोजेक्ट का नाम Train Collision Avoidance System (TCAS) था.

 

दरअसल, रेल भारत के लगभग सभी कोनों तक पहुंचती है और इससे हर दिन लाखों लोग सफर करते हैं. ट्रेन हादसों में कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं. ऐसे हादसों को रोकने के पीछे भारतीय रेलवे का मकसद जीरो एक्सीटेंड का लक्ष्य हासिल करना है. इसका पहला ट्रायल साल 2016 में शुरू हुआ था और चरणबद्ध तरीके से इस सिस्टम का इंस्टॉलेशन किया जा रहा है. 

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ऐसे काम करता है ये सिस्टम 

Kavach सिस्टम में कई इलेक्ट्रोनिक्स डिवाइस और सेंसर शामिल हैं. इसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस को ट्रेन, रेलवे ट्रैक, रेलवे सिग्नल और हर स्टेशन पर एक किलोमीटर की दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है. यह सिस्टम दूसरे कंपोनेंट्स से अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रिक्वेंसी के जरिए कम्युनिकेट करता है. 

अगर कोई लोको पायलट (ट्रेन चालक) किसी सिग्नल को तोड़ता है, तो कवच एक्टिवेट हो जाता है. इसके बाद यह सिस्टम लोको पायलट को अलर्ट करता है और फिर ट्रेन के ब्रेक्स का कंट्रोल हासिल करता है. इसके बाद सिस्टम को जैसे ही पता चलता है कि ट्रैक पर कोई दूसरी ट्रेन भी आ रही है, तो वह पहली ट्रेन को रोक देता है. यह सिस्टम लगातार ट्रेन की मूमेंट को ट्रैक करता है और आगे सिग्नल शेयर करता है.

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