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Koo से डर गया ट्विटर? फेक-ट्रोल अकाउंट्स भी किए जा रहे हैं वेरिफाई

Twitter की वेरिफिकेशन पॉलिसी एक बार फिर से विवादों में है. अब कई हैंडल ऐसे भी वेरिफाई किए जा रहे हैं जो फेक हैं या फिर वेरिफिकेशन पॉलिसी के मुताबिक योग्य नहीं हैं.

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Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 10:55 AM IST
  • फेक अकाउंट्स को भी ब्लू बैज दे रहा है ट्विटर
  • जो अकाउंट्स योग्य नहीं हैं उन्हें गलत तरीके से मिल रहे हैं वेरिफिकेशन

Twitter ने अब फर्जी अकाउंट्स को भी ब्लू बैज देना शुरू कर दिया है. ट्विटर की वेरिफिकेशन पॉलिसी एक बार फिर से चरमरा रही है. क्या कंपनी कू से डर गई है या फिर वेरिफिकेशन पॉलिसी पर ठीक से काम नहीं किया गया है? 

माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर हाल ही में नई वेरिफिकेशन पॉलिसी लेकर आया है. इसे लेकर बड़ा विवाद शुरू हो गया है. विवाद ये है कि कंपनी अब फेक अकाउंट, बॉट अकाउंट और ट्रोल अकाउंट्स का भी ट्विटर हैंडल वेरिफाई कर रही है. 

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ट्विटर की पॉलिसी में साफ तौर पर लिखा है कि कंपनी फेक, बॉट, पैरोडी या ट्रोल अकाउंट्स वेरिफाई नहीं करेगी. लेकिन ऐसा नहीं है. कई हैंडल ऐसे हैं जो ट्रोल्स हैं और उन्हें वेरिफाई कर दिया गया है. हालांकि कंपनी ने अपनी गलती मानते हुए कुछ हैंडल्स को हटाए भी हैं. लेकिन अब भी ये मसला सुलझा नहीं है. 

इससे पहले तक ट्विटर वेरिफिकेशन को लेकर काफी स्ट्रिक्ट था. कंपनी सिर्फ क्रेडिबल अकाउंट्स को ही वेरिफाई करती थी. अब कंपनी ऐसे भी अकाउंट्स वेरिफाई कर रही है जो पहले ट्रोल अकाउंट थे और बाद में हैंडल चेंज किया गया. 

ऐसा क्यों हो रहा है? क्या ट्विटर को अब भारतीय माइक्रो ब्लॉगिंग प्लैटफॉर्म कू से डर लग रहा है? दरअसल Koo पर अकाउंट बना कर ज्यादा फॉलोअर्स बटोरना और वेरिफिकेशन पाना ट्विटर के मुकाबले अभी आसान है. ऐसे में लोग वहां वेरिफिकेशन करा कर ट्विटर पर स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे हैं. 

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कुछ यूजर्स इन वजहों से कू पर ज्यादा ऐक्टिव हो गए हैं. ऐसे में शायद ट्विटर भी अपने यूजर्स को बनाए रखने के लिए गलत सही हर तरह के अकाउंट्स को वेरिफाई करना शुरू कर दिया है. हालांकि अभी भी कई योग्य अकाउंट्स वेरिफाई नहीं किए गए हैं, जबकि ट्रोल्स के अकाउंट वेरिफाई हो चुके हैं. 

ट्विटर किस तरह से फेक हैंडल को वेरिफाई कर रहा है अब ये जान लीजिए

अजेंद्र नाम के एक प्रोग्रामर हैं जिन्हों ने ये खंगाला है कि कैसे ट्विटर ने एक फर्जी हैंडल को वेरिफाई किया है. अजेंद्र के मुताबिक इश्वर चौधरी नाम का अकाउंट अब वेरिफाई कर दिया गया है. ये अकाउंट पहले मिथुन चक्रवर्ती, कंगना रनौत और सौम्या पांडे के नाम से चलाया जाता था, यानी एक पैरोडी अकाउंट था. 

प्रोग्रामर अजेंद्र के मुताबिक इस हैंडल से बार बार यूजरनेम भी बदले जाते रहे हैं. उन्होंने स्क्रीनशॉट भी शेयर किया है जहां ये तस्दीक हो रही है कि ये अकाउंट अलग अलग यूजरनेम से ट्विटर पर रहा है. 

उन्होंने कुछ ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट भी शेयर किए हैं. इनमें देखा जा सकता है कि इस हैंडल से दूसरों की की ट्रोलिंग की जा रही है. इतना ही नहीं ट्वीट में आपत्तिजनक शब्दों का भी प्रयोग किया गया है. 

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ये तो एक उदाहरण है. इसके अलावा भी कई ऐसे अकाउंट्स हैं जो फेक हैं और कंपनी ने वेरिफाई कर दिए हैं. कोई एक फर्जी वेबसाइट बनाई जाती है और उसके सीईओ और एडिटर के तौर पर हैंडल बनाए जाते हैं. इसे भी ट्विटर ने वेरिफाई कर दिया. 

ट्विटर पर इस बात को लेकर लोगों का गुस्सा भी देखा जा सकता है. कई योग्य अकाउंट वेरिफाई नहीं हो पा रहे हैं, लेकिन फेक और ट्रोल अकाउंट्स वेरिफाई किए जा रहे हैं. ऐसे में उनका गुस्सा भी लाजमि है. 

ट्विटर वेरिफिकेशन के नुस्खे?

पत्रकारों का ट्विटर वेरिफाई करने के लिए कंपनी उनसे किसी पब्लिकेशन में प्रकाशित हुए कुछ आर्टिकल्स के लिंक मांगती है. ऐसे में कुछ फर्जी अकाउंट्स की तरफ से किसी पोर्टल पर अकाउंट बना कर लेख पब्लिश कर दिए गए हैं. यही लिंक ट्विटर को देकर वेरिफिकेशन बैज हासिल किया जा रहा है. 

ट्विटर ने माना...

हाल ही में ट्विटर ने ये बात मानी है कि गलती से कुछ फेक अकाउंट भी वरिफाई हो गए थे. इन्हें सस्पेंड कर दिया गया है. इससे ये भी क्लियर होता है कि कंपनी के वेरिफिकेशन प्रोसेस में दिक्कत है.  

कई लोगों को ये भी मानना है कि कंपनी अगर पैरोडी और फेक अकाउंट्स या फिर किसी भी नॉर्मल अकाउंट्स को वेरिफाई करेगी तो धीरे धीरे वेरिफिकेशन का मतलब नहीं रह जाएगा. यूजर्स को ये भी डर है कि फिर वो सरकारी अफसर या फिर किसी को टैग करके गुहार लगाएंगे तो उनकी सुनी भी नहीं जाएगी, क्योंकि धीरे धीरे सही गलत हर तरह के अकाउंट्स को ब्लू बैज मिल रहा है. 

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कंपनी ने कई सालों के लिए पब्लिक वेरिफिकेशन ऐप्लिकेशन को होल्ड पर रखा था. हाल ही में इसे फिर से शुरू किया गया. अब एक बार फिर से कंपनी की वेरिफिकेशन पॉलिसी पर विवाद शुरू हो गया है. ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि कंपनी इसे लेकर आगे क्या कदम उठाती है. 

क्या Koo से डर गई कंपनी?

दरअसल कू पर लोगों को तेजी से वेरिफिकेशन हो रहा है. कू भारतीय माइक्रो ब्लॉगिंग प्लैटफॉर्म है. ऐसे में मुमकिन है कि ट्विटर को डर होगा. डर इस बात का कि अगर लोग वेरिफिकेशन के लिए कू पर शिफ्ट होंगे तो ऐसे में ट्विटर का यूजरबेस घटेगा. इसलिए उन्हें ट्विटर पर ही ब्लू बैज दे कर रोक लिया जाए. 

 

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