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AI से अगर बनाया चाइल्ड एब्यूज कंटेंट तो होगी सजा... पहली बार किसी देश में बना सख्त कानून

ब्रिटेन दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जो AI चाइल्ड एब्यूज कंटेंट के खिलाफ कानून लेकर आया. नए कानून के तहत बाल यौन शोषण कंटेंट बनाने AI प्रोडक्ट को रखना, बनाना या उनको डिस्ट्रीब्यूट करने को अवैध बनाता है. इसके तहत 5 साल तक की सजा तक हो सकती है. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.

UK में AI से बाल शोषण की इमेज बनाना गैर कानूनी होगा. (Photo: AI Image) UK में AI से बाल शोषण की इमेज बनाना गैर कानूनी होगा. (Photo: AI Image)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 04 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 9:01 AM IST

AI को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा है जहां इसके फायदों पर पूरी दुनिया में बात हो रही है, वहीं इसके नुकसान को भी नजर अंदाज नहीं जा सकता है. UK ने AI को लेकर एक बड़ा ऐलान कर दिया है और कहा कि AI की मदद से चाइल्ड एब्यूज कंटेंट बनाने वालों पर कानूनी एक्शन होगा. ऐसा कानून बनाने वाला UK दुनिया का पहला देश बन गया है. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं. 

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ब्रिटेन सरकार में होम सेक्रेटरी यवेट कूपर ने बताया कि AI द्वारा जनरेट चाइल्ड पोर्नोग्राफी इमेज जैसे खतरों को रोकने के लिए चार नए कानून को पेश किया जाएगा. यहां दोषी को 5 साल तक की सजा का भी प्रावधान है. 

UK होम मिनिस्ट्री ने दी जानकारी 

ब्रिटेन की होम मिनिस्ट्री ने इसको लेकर कहा कि ब्रिटेन दुनिया का पहला देश बनने जा रहा है, जो चाइल्ड एब्यूज कंटेंट बनाने AI प्रोडक्ट को रखना, बनाना या उनको डिस्ट्रीब्यूट करने को अवैध बनाता है. 

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सिखाना भी होगा गैर कानूनी 

AI पीडोफाइल मैनुअल रखना भी गैर-कानूनी कैटेगरी में पाया है और इसमें अपराधियों को तीन साल तक सजा होगी. AI पीडोफाइल मैनुअल के तहत लोगों को यौन शोषण के लिए AI का उपयोग करना सिखाया जाता हैं. 

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वेबसाइट भी होंगी शामिल 

नए कानून के तहत चाइल्ड एब्यूज कंटेंट के तहत वे वेबसाइट भी आएंगी, जो चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ा कंटेंट शेयर करती हैं. नए कानून में वे वेबसाइट भी शामिल होंगी, जो यौन शोषण के लिए बच्चों को कैसे तैयार किया जाए उसके लिए सलाह देने का काम करती हैं. 

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क्राइम एजेंसी ने बताया 

मीडिया रिपोर्ट्स में नेशनल क्राइम एजेंसी के हवाले से बताया गया है कि बच्चों को ऑनलाइन खतरों से बचाने के लिए और उससे संबंधित हर महीने 800 गिरफ्तारियां होती हैं. इसमें कहा कि 8.40 लोग देशभर में बच्चों के लिए खतरा हैं, जो वयस्क आबादी का 1.6 परसेंट है. ऑनलाइन और ऑफलाइन खतरा पैदा करते हैं. 

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