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अंतरिक्ष स्टेशन 400 KM दूर लेकिन सिग्नल 35 हजार KM घूमकर आते हैं... ऐसे धरती से संवाद करते हैं एस्ट्रोनॉट

सुनीता विलियम्स की धरती पर लैंडिंग के साथ ही एक एतिहासिक स्पेश मिशन संपन्न हुआ. अब सवाल आता है कि सुनीता विलियम्स करीब 9 महीने के लिए इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन (ISS) पर थीं, जो धरती की सतह से करीब 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद है. इतनी दूर कम्युनिकेशन्स कैसे काम करता है? आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.

ऐसे काम करता है नासा का कम्युनिकेशन्स सिस्टम. ऐसे काम करता है नासा का कम्युनिकेशन्स सिस्टम.
रोहित कुमार
  • नई दिल्ली ,
  • 19 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 8:53 AM IST

Welcome Back Sunita: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नेशनल एयरोनिटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) की अंतरिक्ष यात्री और भारतीय मूल की महिला सुनिता विलियम्स धरती पर वापस लौट आईं. धरती पर उनकी लैंडिंग भारतीय समयनुसार तड़के 3:30 बजे हुई. 

सुनीता विलियम्स की इस लैंडिंग के साथ ही एक एतिहासिक स्पेश मिशन संपन्न हुआ. अब सवाल आता है कि Sunita Williams करीब 9 महीने के लिए इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन (ISS) पर थीं, जो धरती की सतह से करीब 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर मौजूद है तो NASA और ISS का कम्युनिकेशन्स कैसे होता है? 

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आज आपको नासा के कम्युनिकेशन्स सिस्टम और ISS से कॉन्टैक्ट करने के तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं. 

Nasa के पास कई ग्राउंड स्टेशन मौजूद

नासा के कई ग्राउंड स्टेशन हैं, जिनका इस्तेमाल वह कम्युनिकेशन्स के लिए करता है. इसमें एक खास कम्युनिकेशन सिस्टम  ट्रैकिंग और डेटा रिले सैटेलाइट सिस्टम (TDRSS) है और धरती पर इनके मुख्य स्टेशन न्यू मैक्सिको और गुआम में हैं. 

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35 हजार किमी दूर TDRS सेटेलाइट को सिग्नल भेजते हैं

ये ग्राउंड स्टेशन TDRS सेटेलाइट को सिग्नल भेजते हैं, जो पृथ्वी से लगभग 35,786 किमी की ऊंचाई पर मौजूद है. उसके बाद ये सेटेलाइट ISS को सिग्नल भेजते हैं. इस दौरान सिग्नल लाइट की स्पीड पर काम करतें हैं, जिनकी स्पीड 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकेंड होती है, ऐसे में धरती से ISS तक सिग्नल में पहुंचाने में सिर्फ 1.4 मिलीसेकेंड का समय लगता है और दोनों तरफ से सिग्नल आने और जाने में टोटल 2.8 मिलीसेकेंड का समय लगता है. 

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ISS का कम्युनिकेशन्स सिस्टम 

TDRS उपग्रह (रिले सिस्टम): ये सेटेलाइट, ग्राउंड स्टेशन से सिग्नल रिसीव करते हैं और इसे ISS तक पहुंचाते हैं. ये सेटेलाइट पृथ्वी के चारों ओर घूमते हैं और ISS की स्थिति बदलने के बावजूद लगातार संपर्क बनाए रखते हैं. 

ISS का कम्युनिकेशन सिस्टम 

ISS में कई एंटेना और कम्युनिकेशन डिवाइस हैं, जैसे बैंड सिस्टम है और उसके अंदर वॉयस, टेलीमेट्री आदि शामिल हैं. हाई रेट वाले डेटा, वीडियो और साइंटिस्ट के लिए Ku-बैंड सिस्टम सिस्टम का यूज होता है. 

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स्पेस वॉक के लिए VHF रेडियो

इसके अलावा VHF रेडियो है, जिसे स्पेसवॉक के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के साथ सीधे वॉयस संपर्क के लिए यूज किया जाता है.

पृथ्वी पर वापसी

ISS से सिग्नल उसी TDRS सेटेलाइट सिस्टम के जरिए ही वापस पृथ्वी पर भेजे जाते हैं. इसके बाद नासा स्थित स्टेशन पर एस्ट्रोनॉट्स का कम्युनिकेशन्स होता है. 

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