
भारत में इन दिनों WhatsApp कुछ दिनों से लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है. अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर विवादों में है. सरकार ने 7 दिनों के अंदर WhatsApp से इस पॉलिसी को लेकर जवाब मांगा है. सरकार ने ये भी कहा है कि वॉट्सऐप ये पॉलिसी वापस ले.
सरकार ने इस वक्त WhatsApp को दो तरह से घेरा है. WhatsApp की नई प्राइवेसी पॉलिसी को वापस लेने के लिए कहा गया है.
दूसरा ये कि गाइडलाइन के तहत वॉट्सऐप को WhatsApp मैसेज ट्रेस करना होगा. यानी WhatsApp मैसेज के ओरिजिन को जरूरत पड़ने पर ट्रेस करके उसकी जानकारी सरकार को देनी होगी.
दो बातें, एक में वॉट्सऐप का नुकसान दूसरे में आम यूजर्स का...
दोनों ही केस में WhatsApp का नुकसान है. लेकिन एक केस में लोगों का भी नुकसान है. एक तरफ WhatsApp पॉलिसी वापस लेता है तो कंपनी की कमाई पर असर पड़ेगा.
दूसरी तरफ अगर WhatsApp मैसेज ट्रेस करने का काम करता है तो लोगों का भरोसा WhatsApp से खत्म होगा और दुनिया भर में इस ऐप की किरकिरी होगी.
बहरहाल अब नया विवाद ये है कि WhatsApp ने कहा है कि वो सरकार की सोशल मीडिया गाइडलाइन नहीं मान सकता है.
सोशल मीडिया गाइडलाइन को फॉलो करने के लिए सरकार ने सभी टेक कंपनियों 25 मई तक का समय दिया था. सोशल मीडिया गाइडलाइन्स में कई प्रावधान हैं, लेकिन इनमें से एक चीज को लेकर WhatsApp अड़ गया है.
WhatsApp ने मैसेज ट्रेस करने के मामले में पर क्या कहा है?
WhatsApp ने अपने ब्लॉग पोस्ट में मैसेज ट्रेसिंग को लेकर कई बाते कहीं हैं.
WhatsApp भारत सरकार की इस सोशल मीडिया गाइडलाइन के खिलाफ कोर्ट जा चुका है. WhatsApp ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा है कि सरकार द्वारा बनाए गए नए नियम को ब्लॉक किया जाए. इस लॉसूट में दावा किया गया है कि ये नियम संवैधानिक नहीं हैं.
WhatsApp ने कहा है कि एक मैसेज ट्रेस करने के लिए सभी मैसेजों को ट्रेस करना होगा.
WhatsApp ने ये भी कहा है कि फ्यूचर में सरकार कौन से मैसेज की जांच करना चाहेगी ये प्रेडिक्ट नहीं किया जा सकता है. एक सरकार अगर मैसेज ट्रेस करवाना चाहती है तो ये एक तरह का मास सर्विलांस (जन निगरानी) हुआ.
मैसेज ट्रेस हुआ तो WhatsApp को मिलेगा और ज्यादा यूजर्स का डेटा...
अगर सरकार की बात मानते हैं तो किसी भी मैसेजिंग सर्विस को हर मैसेज का एक बड़ा डेटाबेस तैयार करना होगा या इसके लिए परमानेंट आईडेंटिटी स्टांप तैयार करना होगा.
यानी आपके प्राइवेट मैसेजों का पूरा हिसाब किताब वॉट्सऐप के पास रहेगा. ऐसे में कंपनियां यूजर्स का और भी ज्यादा डेटा कलेक्ट करेंगी.
एक तरफ तो सरकार WhatsApp की नई प्राइवेसी पॉलिसी के खिलाफ है, लेकिन दूसरे तरफ मैसेज ट्रेस करने का प्रावधान डाल कर उल्टा काम कर रही है. क्योंकि WhatsApp ने ऐसा किया तो फिर कंपनी के पास यूजर डेटा का भरमार होगा.
WhatsApp के मुताबिक कंपनी लोगों की प्राइवेसी को प्रोटेक्ट करता है और पर्सनल मैसेज के लिए ये आगे भी करता रहेगा.
अब ये जानना जरूरी है कि सरकार के इस गाइडलाइन में ऐसा क्या है जिससे लोगों की प्राइवेसी के साथ समझौता होगा?
दरअसल सरकार काफी पहले से ये चाहती है कि WhatsApp एक ऐसा टूल बनाए जो मैसेज के ओरिजिन को ट्रेस कर सके.
यानी कोई मैसेज कहां से भेजा गया है उसे ट्रेस करके उसकी जानकारी प्रोवाइड कराई जाए. इस गाइडलाइन भी मैसेज ट्रेस की बात की गई है.
WhatsApp ऐसा क्यों नहीं कर सकता है?
WhatsApp ही नहीं, बल्कि एंड टु एंड एन्क्रिप्शन वाले दूसरे प्लैफॉर्म जैसे Signal और Telegram भी मैसेज ट्रेस नहीं कर सकते हैं और न ही मैसेज के ओरिजिन का पता लगा सकते हैं.
WhatsApp के मुताबिक एंड टु एंड एन्क्रिप्शन होने की वजह से WhatsApp भी यूजर्स के मैसेज पढ़ नहीं सकता है.
WhatsApp के लिए ये ट्रेस कर पाना मुमकिन नहीं है कि मैसेज का ओरिजिन क्या है. इसी वजह से WhatsApp यूजर्स की प्राइवेसी का हवाला दे कर कोर्ट जा चुका है.
आगे क्या हो सकता है?
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोशल मीडिया गाइडलाइन्स बताते वक्त कहा था कि ये सिर्फ गाइडलाइन हैं ये कोई कानून नहीं है. यानी अगर कंपनियां इस गाइडलाइन को फॉलो नहीं करती हैं तो उन पर मौजूदा कानून (IT Act) के तहत ही ऐक्शन होगा.
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इसे किस तरह से लेती है. एक तरह से यहां वॉट्सऐप की मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं. क्योंकि WhatsApp की पॉलिसी को लेकर सरकरा ने कहा है कि इसे वापस लेना चाहिए और 7 दिन के अंदर जवाब मांगा गया है.