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मोबाइल और EV में आग लगने की वजह एक है? यहां जानें क्यों जल रही हैं EV

इलेक्ट्रिक व्हीकल में आग लगने की खबरें पिछले कुछ समय से आप सुन रहे होंगे. भारत में इलेक्ट्रिक स्कूटर्स में आग लगने से कुछ लोगों की मौत भी हुई है. क्या है इसके पीछे की वजह?

EV Scooter catches fire EV Scooter catches fire
Munzir Ahmad
  • नई दिल्ली,
  • 31 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में क्यों लग रही है आग?
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल में आग लगने की वजह क्या है?

एक तरफ EV यानी इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा दिए जाने की बात की जा रही है तो दूसरी तरफ EV व्हीकल्स में आग लगने की घटनाओं ने लोगों को हैरान किया है. पिछले कुछ समय से भारत में लगातार EV स्कूटर्स के जलने की खबर आ रही है. परेशान करने वाली बात ये है कि दो लोगों की इससे मौत भी हो गई है. 

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जिन EV स्कूटर्स में आग लगी है उनमे Ola के इलेक्ट्रिक स्कूटर्स और Okinawa के इलेक्ट्रिक स्कूटर्स शामिल हैं. सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं. मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे ने Ola और Okinawa इलेक्ट्रिक स्कूटर्स में आग लगने के बाद कदम उठाने की बात की है. इसके लिए DRDO को इन्वेस्टिगेशन कराया जाएगा. 

EV स्कूटर्स में आग लगने की वजह क्या हो सकती है और इसका स्मार्टफोन में आग लगने से क्या संबध है? 

स्मार्टफोन्स फटने की घटनाएं काफी समय से देखने को मिल रही हैं. ऐपल और सैमसंग सहित लगभग सभी छोटी बड़ी कंपनियों के स्मार्टफोन्स समय समय पर फटते हैं. क्या स्मार्टफोन फटने और और EV स्कूटर्स जलने में कोई कनेक्शन है? 

कनेक्शन ये है कि EV और स्मार्टफोन दोनों में ही Lithium-ion बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है. आम तौर पर Lithium-ion बैटरी दो वजहों से फटती हैं या जलती हैं. लिथियम आयन बैटरी के काम करने का जो तरीका होता है उससे फटने या जलने का खतरा एक हद तक बना रहता है. 

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पहला तो ये है कि बैटरी बनाने में ही समस्या है जिसे मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट कह सकते हैं या फिर बैटरी जलने के पीछे कोई एक्स्टर्नल वजह है, यानी किसी तरह से बैटरी को मिसहैंडल किया गया हो. 

लिथियम आयन (Lithium ION) बैटरी काम कैसे करती है? 

लिथियम आयन बैटरी - चाहे वो स्मार्टफोन में लगी हो या EV में. इनके काम करने का तरीका मोटे तौर पर एक जैसा ही है. इनमें मुख्य रूप से इलेक्टोड्स, इलेक्ट्रोलाइट और सेपरेटर लगे होते हैं. 

इन तीनों के काम भी अलग अलग अलग हैं. इलेक्ट्रोड्स लिथियम को स्टोर करने का काम करता है, जबकि इलेक्ट्रोलाइट लिथियम आयन को इलेक्ट्रोड्स में ले जाता है. सेपरेटर पॉजिटिव इलेक्ट्रोड्स और नेगेटिव इलेक्ट्रोड्स को एक दूसरे से अलग करता रहता है यानी इन दोनों का कॉन्टैक्ट ना हो पाए उसे सुनिश्चित करता है. 

ज्यादातर बार ऐसा पाया गया है कि लिथियम आयन बैटरियां गलत तरह से बनाए जाने की वजह से फटती हैं. इसके अलावा अगर सॉफ्टवेयर के साथ इन्हें ठीक से सिंक नहीं किया गया तो भी ऐसा होता है, क्योंकि सॉफ्टवेयर के वर्किंग में अगर कोई दिक्कत हुई तो इस वजह से भी बैटरी रिस्क पर होती है. 

इलेक्ट्रिक व्हीकल में जो लिथियम आयन बैटरी यूज की जाती है उनमे ऑर्गेनिक लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट्स का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी वीकनेस ये होती है कि हाई टेंप्रेचर पर इनमें जलने का खतरा रहता है. 

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भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी EV में आग लगने की घटनाएं हुई हैं. कई बड़ी बैटरी मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों पर भी ये आरोप लगे हैं कि उन्होंने खराब बटरी की सप्लाई की जिनकी वजह से EV में आग लग सकती थी. 

हालांकि कई एक्सपर्ट्स अभी भी ये मानते हैं कि EV में आग लगने की एक खास वजह को बता पाना काफी मुश्किल है. एक बार को ये पता लगाया जा सकता है कि EV में आग बैटरी जलने से लगी है, लेकिन सटीक वजह बता पाना अभी भी थोड़ा मुश्किल है. 

 

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