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‘एक Like करो और 50 रुपये कमाओ’ के चक्कर में ऐसा फंसा कि एक करोड़ गंवा बैठा शख्स

Money For Like Scam: स्कैमर्स लोगों से ठगी के नए-नए तरीके खोजते रहते हैं. ऐसा ही एक तरीका है Money For Likes का, जो इन दिनों चलन में है. इस स्कैम में फंसकर लोगों अपनी उम्र भर की कमाई तक लुटा दे रहे हैं. ऐसा ही कुछ एक रिटायर्ड आर्मी पर्सन के साथ हुआ है, जिन्होंने स्कैम में फंसकर 1 करोड़ रुपये गंवा दिए हैं.

Money For Like Scam क्या है? Money For Like Scam क्या है?
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 3:55 PM IST

यहां पॉकेटमारों से सवाधान रहें... बस स्टैंड और कुछ रेलवे स्टेशन पर इस तरह के बोर्ड अक्सर देखने को मिलते थे. ऐसा ही कुछ अब इंटरनेट पर हो रहा है. यहां आपको कहीं भी 'स्कैमर्स से सावधान रहें' लिखा नहीं मिलेगा, लेकिन आपको सावधान रहने की जरूरत है. स्कैमर्स तरह-तरह से लोगों को ठगते रहते हैं. 

इंटरनेट और स्मार्टफोन के जमाने में ऑनलाइन ठगी का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. स्कैमर्स नए-नए तरीके से लोगों से फ्रॉड कर रहे हैं. कभी वॉट्सऐप मैसेज के जरिए तो कभी किसी रिश्तेदार के नाम पर. एक नया मामला हाल में सामने आया है, जिसे Money For Like स्कैम कहते हैं. वैसे तो स्कैम का ये तरीका नया नहीं है, लेकिन ऐसा एक नया केस देखने को मिला है. 

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दरअसल, पुणे में एक रिटायर आर्मी पर्सन के साथ ये ठगी हुई है. इस स्कैम में फंसकर पीड़ित ने अपनी उम्र भर की कमाई गंवा दी है. पुलिस ने बताया कि दो हफ्तों में पीड़ित से 1.1 करोड़ रुपये की ठगी हुई है. इस मामले में पुणे पुलिस की साइबर सेल ने जांच शुरू कर दी है. 

क्या है मामला? 

65 साल के रिटायर्ड आर्मी पर्सन ने पिछले हफ्ते इस मामले में FIR दर्ज कराई. कहानी शुरू होती है फरवरी से, जब फ्रॉडस्टर्स ने बुजुर्ग से संपर्क किया. शुरुआत में उन्होंने पीड़ित को मनी फॉर लाइक का लालच दिया. तीसरे और चौथे हफ्ते से उन्हें बुजुर्ग को जाल में फंसाकर कुल 26 ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कराए. इस तरह से उनके साथ 1.1 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ. 

ये सभी ट्रांजेक्शन एक दर्जन बैंक अकाउंट्स में हुए हैं. पुलिस की मानें तो शुरुआत में एक महिला ने टेक्स्ट मैसेज के जरिए बुजुर्ग से संपर्क किया था. उसने पार्ट-टाइम एम्प्लॉयमेंट के नाम पर कॉन्टैक्ट किया. महिला ने दावा किया था वो थाईलैंड से है और YouTube Videos पर एक लाइक के बदले 50 रुपये देगी. 

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उसने पीड़ित से कहा था कि हर लाइक का स्क्रीनशॉट उन्हें अपने नाम, ऐड्रेस और बैंक डिटेल्स के साथ भेजना होगा. शुरुआत में उन्हें 150 रुपये का वेलकम बोनस भी मिला. इसके बाद उन्हें एक फोन मैसेंजर ग्रुप में भी जोड़ा गया था, जिसका नाम employee trial group था. ग्रुप में ऐड होने के बाद पीड़ित से कुछ फ्रॉडस्टर्स ने अपना खेल शुरू कर दिया. 

बुजुर्ग से 1000 रुपये की पेमेंट करने के लिए कहा, जिससे उन्हें प्रीपेड टास्क मिले. ठगों ने टास्क पूरा होने के बाद उन्हें 1480 रुपये देने की बात कही. शुरुआत में भरोसा हासिल करने के लिए उन्होंने पीड़ित से 3000 रुपये तक लिए और 4000 रुपये वापस किए.

इसके बाद फ्रॉडस्टर्स ने पीड़ित को कथित VIP ग्रुप में ऐड किया, जहां उन्हें बेहतर मौके मिलने की बात कही गई. इसके बाद बुजुर्ग ठगों की जाल में फंसता गया और अलग-अलग ट्रांजेक्शन के जरिए ठगों ने उनसे 1.1 करोड़ की लूट की.

कैसे होता है इस तरह का फ्रॉड? 

Money For Like फ्रॉड... इसके नाम से ही साफ है कि ये पूरा खेल कैसे काम करता है. स्कैमर्स पहले अपना टार्गेट खोजते हैं. फिर उसे सोशल मीडिया या फिर YouTube Videos पर लाइक के बदले पैसों का लालच देते हैं. शुरुआत में स्कैमर्स भरोसा जीतने के लिए छोटी पेमेंट पर हाई रिटर्न देते हैं. इसके बाद वे बड़ी पेमेंट्स के लिए कोई समस्या बताते हैं. 

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स्कैमर्स बताते हैं कि किसी वजह से उनकी पेमेंट नहीं हो पा रही है. इसके बाद स्कैमर्स अलग-अलग मौकों पर पीड़ित से पैसे ट्रांसफर कराते हैं, जिससे उन्हें पूरे पैसे एक बार में मिल जाएंगे, लेकिन ये पैसे कभी वापस नहीं मिलते हैं. 

कैसे बच सकते हैं आप? 

किसी भी ऑनलाइन स्कैम से बचने का बेसिक तरीका है सावधानी. इंटरनेट की इस दुनिया में आप जितना सावधान रहेंगे, आपका डेटा और पैसे उतने ज्यादा सुरक्षित. आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. सबसे पहले अपना पर्सनल डेटा शेयर करने से बचना चाहिए. खासकर अगर मामला पैसों से जुड़ा हो, तो आपको ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है.

किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए. स्कैमर्स कई बार फिशिंग लिंक भेजकर आम लोगों को फंसाने की कोशिश करते हैं. वहीं अपने बैकिंग क्रेडेंशियल्स को अनजान शख्स से शेयर ना करें. किसी भी हालत में अपना OTP शेयर नहीं करें.

कई बार स्कैमर्स App डाउनलोड कराते हैं. आपको अपने फोन में किसी अनजान ऐप को डाउनलोड नहीं करना चाहिए. बल्कि बेहतर सिक्योरिटी के लिए के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन भी यूज कर सकते हैं.

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