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Air Charger: हवा में चार्ज होंगे स्मार्टफोन, नहीं रखना होगा चार्जर, गजब की है ये टेक्नोलॉजी

Air Charging Technology: चार्जिंग के लिए आप कौन सा तरीका इस्तेमाल करते हैं- वायर्ड चार्जिंग या फिर वायरलेस चार्जिंग? क्या आपने ट्रू वायरलेस चार्जिंग टेक्नोलॉजी के बारे में सुना है? इस टेक्नोलॉजी की मदद से आप फोन को हवा में चार्ज कर सकते हैं. भविष्य में यह टेक्नोलॉजी सस्ती और आम हो सकती है. आइए जानते हैं क्या है ये टेक्नोलॉजी और कैसे करती है काम.

क्या है Air Charger टेक्नोलॉजी? क्या है Air Charger टेक्नोलॉजी?
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:30 PM IST

अपने स्मार्टफोन को चार्ज करने के लिए आप कौन-सा तरीका इस्तेमाल करते हैं. वायर्ड चार्जर या फिर वायरलेस चार्जिंग टेक्नोलॉजी. वायर्ड चार्जर में भी आपको कई तरह के ऑप्शन मिलते हैं. इसमें आपको फास्ट और सुपर फास्ट चार्जिंग जैसे विकल्प दिए गए हैं. क्या हो अगर आपको फोन चार्ज करने के लिए चार्जर की जरूरत ही नहीं पड़े? 

ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि भविष्य में ऐसी चार्जिंग टेक्नोलॉजी आम हो जाएंगी. अब तक चार्जिंग के कितने ही तरीके इजात होते चुके हैं. सामान्य चार्जिंग से फास्ट और फास्ट से अल्ट्रा फास्ट चार्जिंग तक का सफर कर चुकी चार्जिंग टेक्नोलॉजी कहां तक जाएगी.

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मार्केट में आपको वायरलेस चार्जर भी मिलते हैं, लेकिन भविष्य में हो सकता है हमें इसकी जरूरत भी नहीं पड़े. हम बात कर रहे हैं ट्रू वायरलेस चार्जर की, जिसकी मदद से चार्जिंग एक्सपीरियंस पूरी तरह से बदल जाएगा. 

क्या है Air Charging टेक्नोलॉजी?

जैसे आप ट्रू वायरलेस ईयरफोन्स आज यूज कर रहे हैं. इसी तरह से भविष्य में फोन को भी चार्ज कर सकेंगे. वैसे स्मार्टफोन ब्रांड्स ने इस टेक्नोलॉजी को इंट्रोड्यूश कर दिया है और ये मार्केट में मौजूद है, लेकिन पॉपुलर नहीं हुई है. हम बात कर रहे हैं Over The Air चार्जिंग टेक्नोलॉजी की, जो आपके फोन को हवा में चार्ज कर सकती है. 

साल 2021 की शुरुआत में Xiaomi और दूसरी कंपनियों ने कहा था कि वह इस तरह की टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं. कंपनी ने इसका डेमो भी दिखाया था, जिसमें ब्रांड ने चार्जिंग बॉक्स में 144 एंटीना का इस्तेमाल किया था.

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इसकी मदद से mm-Wave सिग्नल ट्रांसमिट होता है. ये सिग्नल स्मार्टफोन तक 14 एंटीना की मदद से पहुंचता है, जो सिग्नल को 5W की पावर में कन्वर्ट करता है. इससे स्मार्टफोन हवा में चार्ज होने लगता है. कंपनी ने इस टेक्नोलॉजी को Mi Air Charger नाम दिया है. 

1901 से हो रही कोशिश

शाओमी कोई पहली कंपनी नहीं है, जिसने ट्रू वायरलेस चार्जिंग टेक्नोलॉजी को तैयार करने की कोशिश की है. Wardenclyff Tower जिसे Tesla Tower के नाम से भी जानते हैं. इसका निर्माण Nikola Tesla ने साल 1901 में Long Island, न्यूयॉर्क में अपने एक्सपेरिमेंट के लिए किया था.

यह एक्सपेरिमेंट वायरलेस पावर ट्रांसमिशन से जुड़ा हुआ था. भले ही यह टेक्नोलॉजी मार्केट में आ गई हो, लेकिन लोगों ने इसे बहुत ज्यादा पसंद नहीं किया और यह आम यूजर्स तक अभी नहीं पहुंच सकी है. इसकी कई वजह हैं.

क्यों पॉपुलर नहीं हो पाई ये टेक्नोलॉजी?

शाओमी ने भी जिस टेक्नोलॉजी को इंट्रोड्यूश किया था, उसमें सिर्फ 5W की चार्जिंग मिलती है. 150W तक की फास्ट चार्जिंग के जमाने में 5W की चार्जिंग किसे ही चाहिए. वहीं ट्रू वायरलेस चार्जिंग के लिए आपको एडिशनल एक्सेसरीज भी इंस्टॉल करनी होगी. 

टेक्नोलॉजी हर दिन विकसित हो रही है और मौजूदा टेक वर्ल्ड हर पल पहले से बेहतर हो रहा है. ऐसे में एक दिन ऐसा भी आ सकता है, जब यह टेक्नोलॉजी अफोर्डेबल और आसान होगी. इसके लिए कंज्यूमर्स को एडिशनल एक्सेसरीज की जरूरत ना पड़े और चार्जिंग स्पीड भी फास्ट हो सकती है.

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