आमतौर पर पर भारत में ऐड्रेस काफी लंबे होते हैं जिनमें गली नंबर, लैंडमार्क, अपार्टमेंट नंबर और फ्लैट नंबर जैसी जानकारियां होती हैं. हालांकि अमेरिका जैसे देशों में ऐड्रेस छोटे होते हैं और आसान होते हैं. इसी तर्ज पर गूगल ने प्लस कोड की शुरुआत की है.