एक वोटर प्रिया चौहान बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका लगाकर मांग करती हैं कि महाराष्ट्र के जनादेश का सम्मान हो. प्रिया की याचिका यकीनन इस बात का दुर्लभ उदाहरण है कि एक आम वोटर कितनी तेज़ी से सिस्टम में आस्था खो भी रहा है और उसे तलाश भी रहा है. पार्टियों से निराश वोटर हमारे लोकतंत्र से रिसने वाली मायूसी है. लेकिन इस निराशा में राहत के लिए सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट या सड़क पर तोड़फोड़ की जगह न्यायपालिका की शरण में जाना बताता है कि कहीं कुछ है, जो अभी सलामत है. टूटा नहीं है. वोटर प्रिया अपनी मायूसी को दूर करने के लिए नागरिक प्रिया बनने को तैयार हैं. काश हमारे नेता प्रिया और उनकी तरह दूसरे वोटर्स की उम्मीदों पर खरे उतरते.