एक बार एक संत से व्यक्ति ने पूछा कि आपका सबसे खुशी वाला दिन कौन सा होगा. संयासी ने कहा, मरने से एक दिन पहले वाला दिन. तभी व्यक्ति ने पूछा कि आपको यह मालूम कैसे चलेगा कि कौन सा दिन आखिरी दिन है. संयासी ने कहा, बिल्कुल ठीक बात है, मुझे पता नहीं है, इसलिए मैं हर दिन को आखिरी दिन मान कर ही जीता हूं. खुशी का यही मूल मंत्र है.