'बहुत नहीं थे, सिर्फ चार कौए थे काले. उन्होंने यह तय किया कि सारे उड़ने वाले, उनके ढंग से उड़ें, रुकें खाएं और गाएं. वो जिसको त्योहार कहें, सब उसे मनाएं.'
संजय सिन्हा से सुनें पंडित भवानी प्रसाद मिश्र की लिखी एक कविता, जो जीवन के कड़वे सत्य की ओर संकेत करती है.
sanjay sinha ki kahani episode of 25th jan 2017 on pandit bhawani prasad mishra poem