जिनके भीतर कोई विज़न नहीं होता, जो राष्ट्र निर्माण का मतलब नहीं समझते, वो सत्ता में होते हैं. वो अधिकारियों को अपने इशारों पर नचाते हैं. नहीं नाचने पर ट्रांसफर करा देते हैं. वो उनके टूल बन कर रह जाते हैं.