संजय सिन्हा सुना रहे हैं जबलपुर के नजदीक मंडला में रहने वाले उन बच्चों की कहानी सुना रहे हैं जो न बोल पाते हैं और न सुन पाते हैं. उनके माध्यम से वे प्रतीक लैंग्वेज की महत्ता को बयां कर रहे हैं. वे बता रहे हैं कि कैसे उन्होेंने जब वहां रूसी भाषा बोली तो उन्हें कोई समझ नहीं पाया. वे बता रहे हैं कि कैसे हम किसी और देश में जाने से पहले वहां की लैंग्वेज सीखते हैं लेकिन इन बच्चों से मिलने से पहले ऐसा कुछ भी नहीं करते.