संजय सिन्हा सुना रहे हैं अपने पिता की कहानी कि कैसे जब उनके पिताजी की तबीयत एकदम से खराब हुई तो वे किन्हीं कामों में फंस गए और पिता के बुलाए जाने और वहां पहुंचने के बीच पिताजी का देहांत हो गया. कैसे वे लगातार अंतिम समय में पिता तक न पहुंच पाने के अपराधबोध से ग्रसित रहे. कैसे वे जब अपने एक दोस्त से मिलने उसके घर गए और वहां उन्हें दोस्त के रौबदार पिताजी मिले तो वे अपने पिताजी को याद करने लगे. देखें पूरी कहानी...