संजय सिन्हा सुना रहे हैं अपनी मां की कहानी कि कैसे वह हमेशा गुरु की महत्ता का जिक्र किया करती थीं. कैसे वह बताया करतीं कि दुनिया को जानने-समझने के लिए क्यों गुरु जरूरी है. साथ ही वे जबलपुर में शिक्षण का काम छोड़ ड्राइवरी करने वाले उस शख्स का भी जिक्र करते हैं कि कैसे सरकार और प्रशासन का गैरजिम्मेदाराना रवैया और उदासीनता किसी को शिक्षण से किसी और धंधे की ओर मोड़ सकता है.