मन के किसी कोने में अगर मुगालता नामक कीड़ा पल रहा हो, तो उसे इस बार की होली में धो डालिए. खुद को दूसरों में समाहित कीजिए. खुद को सबके रंगों में रंग लीजिए या फिर सबको खुद के रंगों में रंग लीजिए और हो जाइए द्वैत से अद्वैत. होली द्वैत से अद्वैत होने का त्योहार है.