देश की 'सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी' होने का दम भरने वाली कांग्रेस अक्सर सिद्धांतों की बात करती है. नेहरू-गांधी के आदर्शों का हवाला दिया जाता है, उनके सपनों के भारत को बनाने का वादा होता है. फिर जब चुनाव करीब आते हैं तो यही सिद्धांत किसी कोने में चले जाते हैं. पार्टी कुछ ऐसे दलों से हाथ मिला लेती है जिनपर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने के आरोप हैं. नतीजा ये कि पार्टी में एक राय नहीं बन पाती. अंदरूनी कलह पैदा हो जाती है. कभी बातें खुलकर सामने आ जाती हैं, कभी आंतरिक बैठकों में गुस्सा फूटता है. अब बंगाल चुनाव को लेकर भी ऐसा ही हो रहा है. फुरफुरा शरीफ के अब्बास सिद्दकी के साथ गठबंधन की चर्चा को लेकर कांग्रेस आनंद शर्मा और अधीर रंजन में ठन गई है. इस पर देखें देश की बात.