बात का ऐसा बतंगड़ बना है कि बात सरकार के हाथ से निकलती जा रही है. किसानों और सरकार के बीच मुलाकातें केवल इसलिए हो रही हैं कि अगली मुलाकात की तारीख तय की जा सके. कृषि कानून जिद के साथ साथ अब नाक का सवाल बन गया है. सरकार झुकने को तैयार नहीं है. किसान पीछे हटने को राजी नहीं है. ऐसे में अब नजरें ट्रैक्टर परेड पर टिक गई हैं. कोर्ट ने ट्रैक्टर परेड में दखल से इंकार कर दिया है. ऐसे में सवाल है कि आंदोलन की अगली सूरत क्या होने वाली है. क्या ये मसला अब टकराव की ओर बढ रहा है. देखें तेज मुकाबला.