किसान आंदोलन के 27 दिन बीत चुके हैं. सरकार की ओर से एक बार फिर बातचीत का प्रपोजल भेजा गया है. किसानों ने साफ तौर पर इस प्रपोजल को नकार दिया है. किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने 5 पेज का गोलमोल प्रपोजल भेजा था. इसमें पुरानी बातों पर ही जोर है. सरकार ने वही प्वाइंट भेजे जो 9 दिसंबर के प्रपोजल में थे. सरकार पुराने प्रपोजल पर बातचीत चाहती है. कानून रद्द करने और MSP पर नया कानून लाने की मांग पर चर्चा नहीं चाहती. अब सरकार के साथ कोई भी बातचीत होगी तो वो तीनों कानूनों को रद्द करने पर ही होगी. इधर सरकार भी किसी भी कीमत पर रोलबैक नहीं चाहती है. कृषि कानूनों में संशोधन चाहे जितने करने पड़े वो तैयार है. किसानों की 'जिद' आखिर कब खत्म होगी. देखें देश की बात.