कृषि कानून पर बात आज 11वें दौर में पहुंच गई और इसी के साथ ये भी तय हो गया कि बात कल तक जितनी आसान लग रही थी, उतनी है नहीं. किसानों ने साफ कर दिया है कि वो कानून रद्द कराने आए हैं और दिल्ली से वो कानून के खत्म होने के बाद ही जाएंगे. सरकार चाहती है कि अभी बीच का कोई रास्ता निकाल लिया जाए, लेकिन किसान इस पर राजी नहीं है. अब सवाल ये है कि सरकार के पास आखिर रास्ता क्या है. सवाल ये भी क्या अभी भी सुलह की कोई सूरत बाकी है या फिर अब दोनों पक्षों में टकराव तय है. आज इसी मसले पर होगी हमारा तेज मुकाबला.